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पी चिदंबरम ने कहा, सरकार की तीन बड़ी गलतियों से अनियंत्रित हो गयी अर्थव्यवस्था

नयी दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि सरकार की तीन बड़ी गलतियों नोटबंदी, त्रुटिपूर्ण जीएसटी और बैंकिंग क्षेत्र पर दबाव की वजह से आज अर्थव्यवस्था नियंत्रण से बाहर हो गयी है और नीचे आ रही है. चिदंबरम ने बुधवार को श्री राम कॉलेज ऑफ […]

नयी दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि सरकार की तीन बड़ी गलतियों नोटबंदी, त्रुटिपूर्ण जीएसटी और बैंकिंग क्षेत्र पर दबाव की वजह से आज अर्थव्यवस्था नियंत्रण से बाहर हो गयी है और नीचे आ रही है. चिदंबरम ने बुधवार को श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने तीन बड़ी गलतियां की हैं.

उन्होंने कहा कि नोटबंदी की ऐतिहासिक गलती, जल्दबाजी में गड़बड़ियों वाला वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करना और बैंकिंग क्षेत्र पर दबाव बनाने जैसी गलतियों की वजह से आज हमारी अर्थव्यवस्था टूट रही है. उन्होंने कहा कि देश एक बार फिर आर्थिक वृद्धि की दृष्टि से ‘उदासीन’ वर्ष की ओर बढ़ रहा है.

चिदंबरम ने कहा, ‘हम लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन यदि पश्चिम एशिया में कोई समस्या खड़ी हो जाती है या अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध छिड़ जाता है, तो क्या हमारे पास उसके लिए ‘प्लान बी’ है?’ उन्होंने कहा कि सरकार ने बाजार आधारित वृद्धि दर का 10 फीसदी का जो लक्ष्य रखा है, वह ‘निराशावादी‘’ है. वास्तविक वृद्धि दर हद से हद पांच फीसदी रहेगी.

चिदंबरम ने कहा, ‘पिछली छह तिमाहियों में वृद्धि दर घटी है. यदि सातवीं तिमाही में भी ऐसा होता है, तो इसका मतलब होगा कि यह गिरावट बनी रहेगी. हम अब भी ऐसी सुरंग में हैं, जहां रोशनी नहीं दिख रही है. हम सुरंग में ही हैं.’ पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह विपक्ष बता रहा है, जबकि इसका स्पष्टीरकरण सरकार की ओर से दिया जाना चाहिए.

कई आर्थिक आंकड़े देते हुए चिदंबरम ने कहा कि ये लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था का संकेत देते हैं. उन्होंने कहा कि खनन, विनिर्माण, बिजली, कोयला, कच्चा तेल और गैस सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन काफी खराब है. उन्होंने कहा कि सरकार ने मांग में सुधार के लिए कंपनी कर में कटौती की है. कंपनी कर घटाने की बजाय यदि सरकार ने जीएसटी के मोर्चे पर राहत दी होती, तो लाखों लोगों के हाथ में अधिक पैसा रहता, जिससे निवेश बढ़ता.

उन्होंने कहा कि लोगों के हाथ में अधिक पैसा पहुंचाने का एक अन्य विकल्प मनरेगा और प्रधानमंत्री किसान योजना में और पैसा डालना हो सकता है, लेकिन दुर्भाग्य से सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए बजट में ऐसी योजनाओं के बजट में कटौती की है. चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने का एक बड़ा मौका गंवा दिया है.

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