US में नवनियुक्त भारतीय राजदूत संधू ने कहा, 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में अमेरिका का तरजीही व्यापार भागीदार
वाशिंगटन : भारत 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की अपनी राह में अमेरिका के साथ व्यापार और कारोबार में भागीदारी को उच्च मान देता है. अमेरिका में भारत के नये राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में यह बात कही. अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं भागीदारी फोरम ने यहां संधू के […]
वाशिंगटन : भारत 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की अपनी राह में अमेरिका के साथ व्यापार और कारोबार में भागीदारी को उच्च मान देता है. अमेरिका में भारत के नये राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में यह बात कही. अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं भागीदारी फोरम ने यहां संधू के सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन किया था.
संधू ने कार्यक्रम में अमेरिका के कारोबारी समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच तालमेल की संभावनाएं असीम हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 3,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ाकर 2024 तक 5,000 अरब डॉलर और 2030 तक 10,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया है कि इस यात्रा में भारत के लिए अमेरिका के साथ व्यापार और कारोबार क्षेत्र में भागीदार महत्वपूर्ण होगी. संधू ने कहा कि हमारी सरकारों के बीच संबंधों को एक नयी गति मिली है. इसे हमारे नेताओं के बीच गर्मजोशी भरे संबंध से शक्ति मिल रही है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी की पिछले साल आपस में चार मुलाकातें हुई थीं.
उन्होंने कहा कि दोनों देश के उद्यमी और कारोबारी दोनों देशों के संबंधों के महत्वपूर्ण हिस्सेदार है. राजदूत ने कहा कि भारत में अमेरिका की 2,000 से अधिक कंपनियां कारोबार कर रही हैं. भारत की 200 से अधिक कंपनियों ने अमेरिका में 18 अरब डॉलर का निवेश किया है, जिससे रोजगार के एक लाख से अधिक प्रत्यक्ष अवसर सृजित हुए हैं. दोनों देशों का द्विपक्षीय निवेश 2018 मे बढ़कर 60 अरब डॉलर पर पहुंच गया था.
उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार सालाना आधार पर 10 फीसदी की दर से बढ़ रहा है और 2019 में 160 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. संधू ने कहा कि यह मुझमें हमारे दोनों देशों के बीच के संबंधों के प्रति उत्साह भरता है और अभी इसमें बहुत कुछ संभव है. अमेरिका की पूंजी और विशेषज्ञता तथा भारतीय बाजार और मस्तिष्क के मेल से कोई भी मंजिल दूर नहीं हो सकती है.
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