नयी दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर मंगलवार को पलटवार करते हुए कहा कि वह उन लोगों से कोई सीख नहीं लेना चाहतीं, जिन्होंने अर्थव्यवस्था का गलत इलाज किया और जिनके सत्ता में रहते प्रत्यक्ष विदेशी निवेशक देश से बाहर भागने लगे थे. सीतारमण ने कहा कि यूपीए सरकार के दौर में इतना ही नहीं हुआ, बल्कि उस शासनकाल में राजनीतिज्ञ और पूंजीपतियों की मिलीभगत से कई लोग बैंकों का कर्ज लेकर चंपत हो गये.
आम बजट 2020- 21 पर पहले लोकसभा में और फिर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर मोदी सरकार का अपने जाने पहचाने अंदाज में बचाव किया. उन्होंने सात क्षेत्रों को गिनाया, जहां स्थिति में सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं. सीतारमण ने कहा कि एफडीआई में वृद्धि हो रही है, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का पूंजी प्रवाह सकारात्मक बना हुआ है, ढांचागत क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए 103 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं निवेश के लिए पेश की जानी हैं. इसके साथ ही, विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है.
उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान पिछले 10 महीनों में से छह महीने जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है. औद्योगिक उत्पादन एक बार फिर बेहतर हो रहा है और कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था में सुधार की झलक शेयर बाजार में दिख रही है. लोकसभा में उन्होंने अपनी सरकार के तहत अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए किये जा रहे उपायों का ब्योरा दिया और सरकार के कदमों का बचाव किया.
उन्होंने न केवल विभिन्न क्षेत्रों के लिए बजट में किये गये बजट आवंटन के बारे में बताया, बल्कि चालू वित्त वर्ष के बजट में राजकोषीय घाटा बढ़ने के बारे में भी सफाई दी. उन्होंने कहा, अर्थव्यवस्था में कोई संकट नहीं है, सात क्षेत्रों से संकेत मिल रहे हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार आ रहा है. इसके कुछ देर बाद ही राज्यसभा में बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने सीधे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार को लेकर कई तरह की धारणाएं व्यक्त की जा रही हैं…. एक बात मैं मानती हूं और वह यह कि निश्चित तौर पर हम यूपीए सरकार ने 2008-09 में जो गलत उपचार किया, हम उसको नहीं दोहरायेंगे. उनमें से किसी को भी हमने नहीं दोहराया है.’
वित्त मंत्री के जवाब के बाद दोनों सदनों में आम बजट पर हुई सामान्य चर्चा को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गयी. इसके साथ ही, बजट को पारित कराने का पहला चरण पूरा हो गया. पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने वर्ष 2008-09 की वैश्विक वित्तीय सुस्ती से निपटने के लिए बैंकों की तिजोरी खोल दी थी. आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए बैंकों से बढ़-चढ़कर कर्ज दिया गया. अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में मंदी के बाद इनमें से कुछ कर्ज एनपीए में परिवर्तित हो गया.
सीतारमण ने कहा, ‘2008-09 के संकट से निपटने के लिए आपने क्या निदान अपनाया और उसका क्या परिणाम हुआ. हम अर्थव्यवस्था के लिए उस बोझ को न आज चाहते हैं और न ही भविष्य के लिए छोड़ना चाहते हैं.’ उन्होंने यूपीए सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 2004 से लेकर 2014 के दौरान तबकी मनमोहन सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के पिछले पांच साल के अच्छे काम में व्यवधान खड़ा करने का काम किया. वित्त मंत्री ने कहा कि वह हर किसी के सुझाव और टिप्पणियां पर गौर करेंगी, लेकिन ‘आप जो लगातार हम पर कीचड़ उछाल रहें हैं, वहां से नहीं.’