पीयूष गोयल ने कहा, किसी ई-कॉमर्स कंपनी को टर्नओवर से अधिक घाटा होने से नहीं मिलते हैं अच्छे संकेत

नयी दिल्ली : वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने देश में ई-कॉमर्स मंचों का परिचालन कर रही कंपनियों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों का कड़ाई से अनुपालन करने की गुरुवार को हिदायत दी. उन्होंने कहा कि जब कोई ई-रिटेल कंपनी पांच हजार करोड़ रुपये के कारोबार पर छह हजार करोड़ रुपये का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 13, 2020 6:34 PM

नयी दिल्ली : वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने देश में ई-कॉमर्स मंचों का परिचालन कर रही कंपनियों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों का कड़ाई से अनुपालन करने की गुरुवार को हिदायत दी. उन्होंने कहा कि जब कोई ई-रिटेल कंपनी पांच हजार करोड़ रुपये के कारोबार पर छह हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठा रही हो, तब ‘यह न तो अच्छा दिखता है, न अच्छा लगता है और न ही इससे अच्छे संकेत मिलते हैं. उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि भारत वैश्विक ई-कॉमर्स कंपनियों का स्वागत करता है, लेकिन उन्हें देश के कायदे-कानून की चौहद्दी में रह कर काम करना होगा.

गोयल इससे पहले भी एक मौके पर कह चुके हैं कि ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन भारत में एक अरब डॉलर का निवेश कर देश पर कोई एहसान नहीं कर रही है, क्योंकि वह अपने नुकसान को पूरा करने के लिए धन ला रही है. वाणिज्य मंत्री ने फिर कहा कि यदि ई-रिटेल कंपनियां लिखे कानून और उसकी भावनाओं के अनुसार चलें, तब न तो उनकी मंत्रालय और न ही प्रतिस्पर्धा आयोग जांच करेगा. वह अमेजन के बारे में अपने पहले के बयान पर सवाल का जवाब दे रहे थे. उनसे पूछा गया कि क्या कंपनी इस क्षेत्र के बारे में भारत के कानूनों का उल्लंघन कर रही है.

उन्होंने कहा, ‘प्रतिस्पर्धा आयोग की प्राथमिक जांच रिपोर्ट मेरे सामने है. मेरा कार्यालय भी विभिन्न तौर-तरीकों के बारे में पूछताछ कर रहा है. मुझे उम्मीद और विश्वास है कि हर कोई कानून और उसकी भावना के अनुसार चल सकता है और हमें यह नहीं देखना पड़ेगा कि क्या कोई कानून तोड़ तो नहीं रहा है, लेकिन जिस किसी को घाटा हो रहा है, उसे घाटा पूरा करने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाना ही होगा.

गोयल ने कहा कि हम ई-कॉमर्स उद्योग में कंपनियों से कानून और उसकी भावना के अनुसार चलने की अपील करते हैं. मेरा मानना है कि इसमें ही सबकी भलाई है. उन्होंने यह भी कहा कि यह वादा करना कि ई-कॉमर्स से अमुक संख्या में लोगों को लाभ हो रहा है, लेकिन यह उसकी 10 गुना संख्या में लोगों के नुकसान की लागत पर नहीं होना चाहिए, जो ऐसे तौर तरीकों से प्रभावित हो रहे हैं, जिनकी इजाजत नहीं है.

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से एक हजार अरब डालर का काम करने वाली कंपनी जब लाख-दो लाख रुपये का खुदरा कारोबार करने वालों के सामने हो, तो यह प्रतिस्पर्धा निश्चित रूप से ‘उचित’ नहीं मानी जा सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार ने ई-कॉमर्स क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को एक निष्पक्ष ई-मार्केट मंच चलाने की अनुमति दी है. वह किसी बिक्रेता को वरीयता नहीं दे सकता, न ही कीमत तय कर सकता है. उन्होंने कहा कि घाटा हो रहा है, तो उसे पूरा करने के लिए कंपनी को एफडीआई लाना ही पड़ेगा. इसी संदर्भ में मैंने 16 जनवरी को वह बयान (एहसान वाला) दिया था.

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