अब ”तत्काल” के लिए नहीं करनी पड़ेगी मारा-मारी, रेलवे ने टिकट के धुरंधर धंधेबाजों को दिखाया जेल का रास्ता

नयी दिल्ली : अगर आप ट्रेन से सफर करने जा रहे हैं और आपने पहले से अपना रिजर्वेशन नहीं कराया है, तो कोई बात नहीं. अब आपको तत्काल टिकट आसानी से मिल जायेगा. इसका कारण यह है कि ट्रेनों के तत्काल टिकटों पर काउंटर खुलते ही ऑनलाइन कब्जा जमा लेने वाले धुरंधर धंधेबाजों को रेलवे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 18, 2020 7:30 PM

नयी दिल्ली : अगर आप ट्रेन से सफर करने जा रहे हैं और आपने पहले से अपना रिजर्वेशन नहीं कराया है, तो कोई बात नहीं. अब आपको तत्काल टिकट आसानी से मिल जायेगा. इसका कारण यह है कि ट्रेनों के तत्काल टिकटों पर काउंटर खुलते ही ऑनलाइन कब्जा जमा लेने वाले धुरंधर धंधेबाजों को रेलवे ने गिरफ्तार जेल का रास्ता दिखा दिया है. रेलवे ने अवैध सॉफ्टवेयरों का सफाया करते हुए उन 60 एजेंटों को गिरफ्तार किया है, जो ऐसे तरीकों से टिकटों की बुकिंग कर लेते थे. रेलवे के इस कदम से अब यात्रियों के लिए अधिक संख्या में तत्काल टिकट उपलब्ध हो सकेंगे. एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी.

रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के महानिदेशक अरुण कुमार ने कहा कि सफाई अभियान का अर्थ है कि यात्रियों के लिए अब तत्काल टिकट घंटों तक उपलब्ध होंगे, जबकि पहले बुकिंग खुलने के बाद एक या दो मिनट पहले तक ही उपलब्ध होते थे. अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि एएनएमएस, मैक और जगुआर जैसे अवैध सॉफ्टवेयर आईआरसीटीसी के लॉगिन कैप्चा, बुकिंग कैप्चा और बैंक ओटीपी की बाईपास करते वास्तविक ग्राहक को इन सभी प्रक्रियाओं से गुजरना होगा.

उन्होंने बताया कि एक सामान्य ग्राहक के लिए बुकिंग प्रक्रिया में आमतौर पर लगभग 2.55 मिनट लगते हैं, लेकिन ऐसे सॉफ्टवेयरों का उपयोग करने वाले इसे लगभग 1.48 मिनट में पूरी कर लेते. रेलवे एजेंटों को तत्काल टिकट बुक करने की अनुमति नहीं देता और पिछले दो महीनों में आरपीएफ ने लगभग 60 अवैध एजेंटों को पकड़ा, जो इन सॉफ्टवेयरों के जरिये टिकट बुक कर रहे थे. ऐसे में अन्य लोगों के लिए तत्काल टिकट प्राप्त करना असंभव हो गया.

कुमार ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि आज मैं कह सकता हूं कि अवैध सॉफ्टवेयरों के जरिये एक भी टिकट नहीं बुक किया जा रहा है. हमने आईआरसीटीसी से जुड़े सभी मुद्दों को हल कर लिया है और उन लोगों को भी पकड़ लिया, जो सॉफ्टवेयर के प्रमुख ऑपरेटर थे. उन्होंने कहा कि इन गिरफ्तारियों के साथ ही अधिकतर अवैध सॉफ्टवेयरों को ब्लॉक कर दिया गया है, जो सालाना 50 करोड़ से 100 करोड़ रुपये का कारोबार करते थे.

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