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कोटक महिंद्रा बैंक को प्रवर्तक की हिस्सेदारी घटाने की आरबीआई से मिली मंजूरी

नयी दिल्ली : निजी क्षेत्र के कोटक महिंद्रा बैंक ने बुधवार को कहा कि रिजर्व बैंक ने बैंक में प्रवर्तक की हिस्सेदारी कम कर 26 फीसदी को अपनी अंतिम मंजूरी दे दी है. इससे पहले, बैंक ने 30 जनवरी को कहा था कि आरबीआई ने नियामक की अंतिम मंजूरी की तारीख से छह महीने के […]

नयी दिल्ली : निजी क्षेत्र के कोटक महिंद्रा बैंक ने बुधवार को कहा कि रिजर्व बैंक ने बैंक में प्रवर्तक की हिस्सेदारी कम कर 26 फीसदी को अपनी अंतिम मंजूरी दे दी है. इससे पहले, बैंक ने 30 जनवरी को कहा था कि आरबीआई ने नियामक की अंतिम मंजूरी की तारीख से छह महीने के भीतर प्रवर्तक की हिस्सेदारी घटाकर चुकता शेयर पूंजी का 26 फीसदी करने को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.

आरबीआई ने बैंक से प्रवर्तकों की हिस्सेदारी कम कर 31 मार्च, 2018 तक चुकता शेयर पूंजी का 20 फीसदी और 31 मार्च 2020 तक 15 फीसदी करने को कहा था. कोटक महिंद्रा बैंक ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि रिजर्व बैंक ने 18 फरवरी, 2020 को पत्र के जरिये प्रवर्तक की बैंक में हिस्सेदारी कम करने को मंजूरी दे दी है.

बैंक ने यह भी कहा कि वह प्रवर्तक की हिस्सेदारी कम करने के संदर्भ में आरबीआई के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में दायर मामले को वापस ले रहा है. बैंक में फिलहाल प्रवर्तक और प्रवर्तक समूह की हिस्सेदारी 29.96 फीसदी है. कोटक महिंद्रा बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी उदय कोटक प्रवर्तक भी हैं.

गौरतलब है कि अगस्त, 2018 में बैंक ने प्रवर्तक की हिस्सेदारी कम कर 19.70 फीसदी करने के लिए तरजीही शेयर जारी करने का प्रस्ताव किया था, जिसे आरबीआई ने खारिज कर दिया. उसके बाद बैंक ने आरबीआई के फैसले को बंबई हाईकोर्ट में चुनौती दी. आरबीआई के बैंक लाइसेंस नियम के अनुसार, निजी बैंक के प्रवर्तक को तीन साल में अपनी हिस्सेदारी 40 फीसदी, 10 साल में 20 फीसदी और 15 साल में 15 फीसदी करने की जरूरत है. कोटक महिंद्रा समूह की वित्तीय इकाई कोटक महिंद्रा फाइनेंस को 2003 में आरबीआई से बैंक लाइसेंस मिला. वह बैंक में तब्दील होने वाली पहली एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) बनी.

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