छोटे उद्यमों की मदद के लिए गुजरात सरकार का कदम

गांधीनगर: जैव-प्रौद्योगिकी उद्योग के छोटे उद्यमों की जरुरतों को पूरा करने के लक्ष्य के साथ पहला सरकारी ‘जैव इन्क्यूबेटर संयंत्र’ लगाने की तैयारियां की जा चुकी हैं. लगभग 16 करोड रुपए की शुरुआती कीमत वाला यह संयंत्र वडोदरा शहर के सावली में लगाया जाना है.‘बायोटेक्नोलॉजी सावली पार्क इन्क्यूबेटर फॉर रिसर्च, इनोवेशन एंड टेक्नोप्रेन्योरशिप’ को केंद्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2014 11:19 AM

गांधीनगर: जैव-प्रौद्योगिकी उद्योग के छोटे उद्यमों की जरुरतों को पूरा करने के लक्ष्य के साथ पहला सरकारी ‘जैव इन्क्यूबेटर संयंत्र’ लगाने की तैयारियां की जा चुकी हैं. लगभग 16 करोड रुपए की शुरुआती कीमत वाला यह संयंत्र वडोदरा शहर के सावली में लगाया जाना है.‘बायोटेक्नोलॉजी सावली पार्क इन्क्यूबेटर फॉर रिसर्च, इनोवेशन एंड टेक्नोप्रेन्योरशिप’ को केंद्र और राज्य सरकार दोनों की मदद मिलेगी.

गुजरात राज्य जैव तकनीक अभियान के अभियान निदेशक अक्षय कुमार सक्सेना ने कहा, ‘‘गुजरात को वडोदरा के सावली इलाके में पहला सरकारी जैव-इन्क्यूबेटर मिलेगा. इसे जैव-तकनीक क्षेत्र के छोटे उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लक्ष्य के साथ लगाया जा रहा है. इसे केंद्र और राज्य सरकार की मदद उनकी विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से मिलेगी.’’इन्क्यूबेटर नए और छोटे उद्यमों के विकास के लिए बायो-बिजनेस इन्क्यूबेशन का काम देखेगा. यह इन्हें दिशानिर्देशन और जोखिमपूर्ण काम में सहायता भी देगा. सक्सेना ने कहा कि विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए इससे उद्यमियों को मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा कि इससे पहले एक निजी उद्यम द्वारा अहमदाबाद शहर में एक जैव-इन्क्यूबेटर संयंत्र स्थापित किया गया था लेकिन यह पहला ऐसा संयंत्र होगा, जो सरकार द्वारा संचालित होगा. यह जैव तकनीक के क्षेत्र में नए और छोटे उद्यमों के व्यवसायीकरण को प्रोत्साहित करेगा.सक्सेना ने कहा कि इन्क्यूबेटर के पीछे का सिद्धांत जैव तकनीक के तैयार करना है ताकि गुजरात में जैव विज्ञान उद्यमों का विकास सुगम बनाया जा सके और नए रोजगार, निवेश के अवसर, अवसंरचना के लिए सहयोग और समाज के लिए लाभ पैदा किए जा सकें.अभियान के निदेशक ने कहा कि इन्क्यूबेटर की शुरुआती लागत 16 करोड रुपए होगी और यह जनवरी या फरवरी 2015 के अंत से काम करना शुरु कर देगा.सक्सेना ने कहा कि जैव-इन्क्यूबेटर संयंत्र जैव तकनीक विभाग की राष्ट्रव्यापी परियोजना ‘‘जैव तकनीक इन्क्यूबेशन केंद्रों के लिए राष्ट्रीय ग्रिड’’ का हिस्सा है.

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