वित्तीय समावेशन से भ्रष्टाचार होगा दूर: रघुराम राजन
मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने सोमवार को कहा कि बैंकिंग सेवाओं को गरीबों तक पहुंचाने के वित्तीय समावेशी कार्यक्रम से भ्रष्टाचार कम होगा. साथ ही सरकारी सेवाओं में कमी की समस्या और संपर्क एवं प्रश्रय के आधार पर योजनाओं का लाभ हासिल करने की बुराई पर भी अंकुश लगेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी […]
मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने सोमवार को कहा कि बैंकिंग सेवाओं को गरीबों तक पहुंचाने के वित्तीय समावेशी कार्यक्रम से भ्रष्टाचार कम होगा. साथ ही सरकारी सेवाओं में कमी की समस्या और संपर्क एवं प्रश्रय के आधार पर योजनाओं का लाभ हासिल करने की बुराई पर भी अंकुश लगेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वित्तीय समावेशन अभियान की घोषणा 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से कर सकते हैं. राजन ने यहां 20वें ललित ललित दोषी स्मृति व्याख्यान में कहा कि इस कार्यक्रम को ‘मेरा विश्वास है कि जब पूरी तरह इसे लागू कर दिया जाएगा तो इससे गरीबों को अपना फैसला करने का अधिकार मिलेगा और वे उन सेवाओं के सम्मान के साथ प्राप्त कर सकेंगे जिसके लिये पहले उन्हें हाथ फैलाना पडता था.’
राजन ने कहा कि वित्तीय समावेशन से ‘सरकारी सेवाओं के घटियापन, प्रश्रय और भ्रष्टाचार के बीच की कडियां टूट सकती हैं.’ वित्तीय समावेश कार्यक्रम के तहत गरीबों की पहचान, उनकी जैविक पहचान पत्र जारी करने, उनके खातें खोलवाने और उन्हें पहचान पत्र से जोडने और उन सरकारी सब्सिडी को उन खातों में अंतरण करने का लक्ष्य है. राजन ने सरकारी योजनाओं का लाभ नकद पहुंचाने पर विशेष बल देते हुए कहा ‘पैसे से आजादी और शक्ति मिलती है.’
उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों का लाभ के साथ काम करना भी जरुरी है, तभी योजनाएं सफल होंगी. इस संबंध में उन्होंने उस प्रस्ताव का भी जिक्र किया जिसके तहत नकदी के अंतरण के बाद बैंकों को कमीशन देने की बात कही गयी है. सहायता के पैसे को दारु जैसी बुराई पर खर्च करने की समस्या के बारे में राजन ने कहा कि इसीलिए पैसा परिवार के महिलाओं के खाते में अंतरित करने की बात है जो सामान्यत: पुरुषों की अपेक्षा बेहतर तरीके से धन खर्च करती हैं.
इसके अलावा यह भी शर्त लगायी जा सकती है कि उन्हीं लोगों को नकद सहायता का लाभ मिलेगा जिनके बच्चे नियमित रुप से स्कूल जा रहे होंगे. गवर्नर राजन ने माना कि कोई भ्रष्ट निरीक्षक पूरे प्रयास को दूषित कर सकता है और कहा कि हमें इस प्रयास को आगे बढाना चाहिए और इसके निरीक्षण और निगरानी की स्वचालित व्यवस्था के बारे में विचार करना चाहिए.
इस तरह की नकद सहायता एक लत न बन जाए इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि नकद अंतरण व्यवस्था को समाज की सृजन क्षमता बढाने के औजार के रुप में इस्तेमाल करने की जरुरत है. इसके लिये उन्होंने कहा कि यह संसाधन केवल उपभोग के लिये नहीं बल्कि शिक्षा तथा स्वास्थ्य के लिये दिये जा सकते हैं.
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