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फिलहाल बीमा क्षेत्र में 49 फीसदी FDI नहीं, बिल गया प्रवर समिति के पास

नयी दिल्‍ली: मोदी सरकार की एक महत्‍वकांक्षी योजना बीमा क्षेत्र में 49 फीसदी एफडीआई को मंजूरी वाला बिल अभी कुछ समय के लिए लटक गया है. विपक्ष के विरोध के बाद सरकार ने बिल को राज्‍यसभा के प्रवर समिति के पास भेजने की घोषणा कर दी. इस प्रकार प्रवर समिति के फैसले का इंतजार सरकार […]

नयी दिल्‍ली: मोदी सरकार की एक महत्‍वकांक्षी योजना बीमा क्षेत्र में 49 फीसदी एफडीआई को मंजूरी वाला बिल अभी कुछ समय के लिए लटक गया है. विपक्ष के विरोध के बाद सरकार ने बिल को राज्‍यसभा के प्रवर समिति के पास भेजने की घोषणा कर दी.

इस प्रकार प्रवर समिति के फैसले का इंतजार सरकार को अगले साल तक करना पडेगा. 15 सदस्‍यीय प्रवर समिति ने इस साल के अंत तक या इस साल के बाद इसपर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. उसके बाद ही बीमा के क्षेत्र में एफडीआई के सीमा बढाना संभव हो पायेगा.

सदन में वित्‍त मंत्री ने लाया प्रस्‍ताव

बिल पर बोलते हुए गुरुवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सदन में एक प्रस्ताव पेश करते हुए बताया कि समिति से विधेयक पर विचार करने और अपनी रिपोर्ट संसद के अगले सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन तक सौंपने के लिए कहा गया है. वित्‍त मंत्री के इस प्रस्ताव को सदन ने मंजूरी दे दी.

ये हैं प्रवर समिति के सदस्‍य

प्रवर समिति के सदस्यों के नाम की घोषणा करते हुए अरूण जेटली ने कहा कि समिति में भाजपा से चंदन मित्रा, मुख्तार अब्बास नकवी और जगतप्रकाश नड्डा, कांग्रेस से आनंद शर्मा, बी के हरिप्रसाद और जे डी सीलम, बसपा से सतीश चंद्र मिश्र, जदयू से के सी त्यागी, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओह्णब्रायन, अन्नाद्रमुक के वी मैत्रेयन, शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल, सपा के रामगोपाल यादव, बीजद के कल्पतरु दास, माकपा के पी राजीव और निर्दलीय राजीव चंद्रशेखर शामिल हैं.

आर्थिक सुधारों का पहला प्रयास था सरकार का

बीमा विधेयक को नई सरकार का आर्थिक सुधार की दिशा में पहला बडा प्रयास माना जा रहा था लेकिन सरकार इस पर समर्थन के लिए विपक्षी दलों को समझाने में नाकाम रही. सभी विपक्षी दलों ने एक स्वर में इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की थी.

बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढा कर 49 फीसदी करने के प्रस्ताव वाले इस विधेयक को लेकर कांग्रेस नीत विपक्ष अपनी इस मांग पर जोर दे रहा था कि विधेयक में शामिल किए गए कुछ नए प्रावधानों पर फिर से विचार करने और विशेषज्ञों की राय लेने की जरुरत है.

विधेयक का विरोध कर रहे विपक्ष ने इसे समर्थन देने से मना कर दिया था और सरकार को उसके दबाव में झुकना पडा. सरकार को विश्वास था कि यह विधेयक लोकसभा में पारित हो जाएगा लेकिन राज्यसभा में इसकी राह को लेकर वह चिंतित थी क्योंकि उच्च सदन में सत्तारुढ राजग के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है.

हालांकि सरकार ने पूर्व में इस विधेयक को राज्यसभा के एजेंडे में सूचीबद्ध किया था लेकिन बाद में इसे हटा लिया गया क्योंकि सत्ता पक्ष समर्थन के लिए विभिन्न दलों से बातचीत करता रहा. समर्थन जुटाने के मद्देनजर सरकार ने स्पष्ट किया कि वह विधेयक में संशोधनों के लिए तैयार है.

गौरतलब है कि कांग्रेस जब सत्ता में थी तब उसने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढाने का समर्थन किया था. अब उसने और विचारविमर्श के लिए इसे प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की क्योंकि सरकार ने इसमें कुछ संशोधन किए हैं.

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