स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी करेंगे वित्तीय समावेशन मिशन की घोषणा
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुक्रवार को अपने संबोधन में महत्वकांक्षी वित्तीय समावेशन योजना की घोषणा कर सकते हैं. इस योजना में 5,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ 15 करोड गरीब लोगों के बैंक खाते खोले जायेंगे. इसमें एक लाख रुपये की दुर्घटना बीमा की सुविधा भी उपलब्ध होगी. […]
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुक्रवार को अपने संबोधन में महत्वकांक्षी वित्तीय समावेशन योजना की घोषणा कर सकते हैं. इस योजना में 5,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ 15 करोड गरीब लोगों के बैंक खाते खोले जायेंगे. इसमें एक लाख रुपये की दुर्घटना बीमा की सुविधा भी उपलब्ध होगी.
सूत्रों ने कहा कि दो चरण वाले वित्तीय समावेशी मिशन को पहले ही मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल चुकी है. इसकी औपचारिक शुरुआत प्रधानमंत्री इस महीने के अंत में करेंगे. सरकार देश भर में 28 या 29 अगस्त को इस योजना के क्रियान्वयन की तैयारी में लगी है. सरकार इस योजना को मिशन के तौर पर आगे बढाएगी. इसके तहत अगस्त 2018 तक पहचान किये गये 7.5 करोड घरों में प्रत्येक परिवार को दो खातें उपलब्ध कराने की बात कही गयी है.
योजना की मुख्य विशेषता आधार से जुडे खातों को 5,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा उपलब्ध कराना, एक लाख दुर्घटना बीमा कवर के साथ रुपे डेबिट कार्ड तथा बैंक प्रतिनिधि (बिजनेस कॉरसपेंडेन्ट) को 5,000 रुपये का न्यूनतम पारिश्रमिक देना शामिल है. बैंक प्रतिनिधि खाता धारकों तथा बैंक के बीच सीधे संपर्क के रुप में काम करेगा.
सूत्रों ने कहा कि नई योजना में संप्रग की वित्तीय समावेशी कार्यक्रम की तुलना में उल्लेखनीय सुधार किया गया है. कुछ विशेषज्ञों के अनुसार पूर्व योजना में घरों और शहरी वित्तीय समावेश पर कोई जोर नहीं था. इसके अलावा, अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) औपचारिकताओं पर बल दिया गया था जिससे खाता खोलने में परेशानी हो रही थी. पहले की योजना में कुछ और भी कमियां थी. ऋण वितरण का अभाव था और 47 प्रतिशत बैंकिंग प्रतिनिधियों का पता लगाना मुश्किल था. इससे निष्क्रिय खातों की संख्या बढी है.
सूत्रों ने कहा कि नई योजना में पूर्व योजना की कमियों को दूर करने की कोशिश की गयी है और इसकी निगरानी राज्य तथा जिले स्तर पर की जाएगी. वित्त मंत्री को मिशन का प्रमुख बनाया गया है और इसके साथ इस योजना को मिशन के तौर पर आगे बढाया जायेगा. कार्यक्रम के क्रियान्वयन पर पांच विभिन्न स्तरों पर निगरानी होगी. इसमें तीन केंद्र स्तर पर तथा दो राज्य सरकारों के स्तर पर है. देश में 42 प्रतिशत आबादी अभी भी औपचारिक बैंकिंग व्यवस्था से वंचित है और वे अपनी ऋण जरुरतों को पूरा करने के लिये महाजनों पर निर्भर हैं. इस लिहाज से यह कार्यक्रम खासा अहम है.
मिशन का पहला चरण इस महीने शुरु हो रहा है और अगले साल अगस्त में समाप्त होगा. दूसरा चरण 2015 से शुरु होकर 2018 तक चलेगा. इसमें सूक्ष्म बीमा तथा स्वाबलंबन की तरह पेंशन योजनाओं जैसी पहलुओं को शामिल किया जाएगा. दूसरे चरण की कुछ गतिविधियों को पहले चरण में भी क्रियान्वित किया जाएगा. देश में इस समय 1,15,082 बैंक शाखाओं का नेटवर्क है और 1,60,055 एटीएम हैं. इनमें से 43,962 शाखायें और 23,334 एटीएम क्रमश: 38.2 और 14.58 प्रतिशत नेटवर्क ग्रामीण क्षेत्रों में है. सरकार ने कार्यक्रम को ब्रांड के तौर पर आगे बढाने के लिये प्रचार अभियान चलाने का भी प्रस्ताव किया है इसके अलावा बैंकों की ग्रामीण शाखाओं में वित्तीय साक्षरता के लिये एक अलग प्रकोष्ठ होगा.
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