पी-नोट्स से भारत में निवेश घटा

नयी दिल्ली : घरेलू शेयरों में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी नोट्स) के जरिये निवेश में कमी आयी है. जुलाई में पी नोट्स के जरिये निवेश घट कर 2.08 लाख करोड़ रुपये (करीब 34 अरब डॉलर) रहा. इससे पिछले महीने में यह छह साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया था. अप्रैल के बाद यह पहला मौका […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 19, 2014 7:22 AM

नयी दिल्ली : घरेलू शेयरों में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी नोट्स) के जरिये निवेश में कमी आयी है. जुलाई में पी नोट्स के जरिये निवेश घट कर 2.08 लाख करोड़ रुपये (करीब 34 अरब डॉलर) रहा.

इससे पिछले महीने में यह छह साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया था. अप्रैल के बाद यह पहला मौका है जब पी नोट्स के जरिये निवेश में गिरावट दर्ज की गयी है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, घरेलू बाजार में (इक्विटी, बांड तथा डेरिवेटिव्स) पी नोट्स के जरिये निवेश जुलाई में घट कर 2,08,284 करोड़ रुपये रहा. एक महीना पहले जून में यह 2,24,248 करोड़ रुपये रहा था, जो छह साल का उच्च स्तर है.

इससे पहले, मई 2008 में इस प्रकार का निवेश 2,34,933 करोड़ रहा था. पी नोट्स का उपयोग विदेशी धनाढ्य निवेशक, हेज फंड तथा अन्य विदेशी संस्थान करते हैं. इसके जरिये वे पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) के माध्यम से घरेलू बाजारों में निवेश करते हैं. इससे उनके प्रत्यक्ष पंजीकरण में लगनेवाली लागत तथा समय की बचत होती है.

बहरहाल, पिछले कुछ समय से भारतीय शेयरों में पी-नोट्स के जरिये निवेश बढ़ा है. विेषकों का कहना है कि निवेशकों में भारत में स्थिर सरकार से उम्मीद बढ़ी है. मई में चुनाव परिणाम आने के बाद यह बढ़ गया. इसके बाद जून में भी यही स्थिति रही, लेकिन जुलाई में इसमें कमी आयी.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version