नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने प्रकाश इंडस्टरीज लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) वेद प्रकाश अग्रवाल और इसके निदेशक विपुल अग्रवाल की जमानत अर्जियों पर अपना आदेश कल तक के लिए टाल दिया है. वेद प्रकाश और विपुल सिंडीकेट बैंक रिश्वतखोरी मामले में गिरफ्तार छह लोगों में शामिल हैं.सीबीआई की विशेष न्यायाधीश स्वर्णकांता शर्मा को वेद प्रकाश और विपुल की जमानत अर्जियों पर आज आदेश देना था लेकिन उन्होंने कहा कि आवेदनों पर फैसला करने से पहले उन्हें कुछ और दस्तावेजों का अध्ययन करना है.
सीबीआई और आरोपियों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कल जमानत अर्जियों पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. इससे पहले, जमानत अर्जियों पर बहस के दौरान दोनों आरोपियों की तरफ से पेश हुए वकील विजय अग्रवाल ने अदालत को बताया कि सीबीआई ने कथित तौर पर फोन पर हुई बातचीत सुनने के आधार पर उनके मुवक्किलों के खिलाफ आरोप लगाए हैं.
उन्होंने कहा था, ‘सीबीआई ने आरोप लगाया है कि सिंडीकेट बैंक के सीएमडी मेरे मुवक्किल (वेद प्रकाश अग्रवाल) की जेब में थे परंतु कर्ज की मंजूरी के लिए कंपनी पर ऐसी शर्तें थोपी गईं जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सका और इसके अलावा कर्ज की रकम भी कम कर दी गई.’ विपुल अग्रवाल के लिए जमानत की मांग करते हुए वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने पिछले साल 31 अक्तूबर को प्रकाश इंडस्टरीज लिमिटेड के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था और वह अब किसी भी तरह से कंपनी से नहीं जुडे हैं.
बचाव पक्ष के वकील की दलीलें खारिज करते हुए सीबीआई के वकील अक्षय गौतम ने कहा था कि इस मामले में जांच अब भी चल रही है और इस चरण में यदि जमानत दे दी गई तो आरोपी सबूतों से छेडछाड की कोशिश कर सकते हैं. सभी आरोपी 29 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में हैं. बीते दो अगस्त को सीबीआई ने सिंडीकेट बैंक के सीएमडी सुधीर कुमार जैन और वेद प्रकाश अग्रवाल सहित छह आरोपियों को इस मामले में गिरफ्तार किया था.
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