मुंबई: रिजर्व बैंक ने किसी एक कंपनी समूह को दिये जाने वाले बैंक कर्ज की सीमा घटाने का संकेत दिया है जो इस समय बैंक के पूंजी कोष के 40 प्रतिशत तक है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि वह इसकी समीक्षा करेगा और इसे वैश्विक स्तर के अनुरुप रखेगा. रिजर्व बैंक ने प्राथमिक क्षेत्र की ऋण सीमा की भी वर्ष के दौरान समीक्षा करने का वादा किया है.
बैंक ने कहा है कि प्राथमिक क्षेत्र के दिशा-निर्देश बदलती आर्थिक प्राथमिकताओं के अनुरुप नहीं बदले हैं. केंद्रीय बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘उधार लेने वाले किसी एक कंपनी समूह को हमारी मौजूदा ऋण सीमा पूंजी कोष का 40 प्रतिशत (जमा 10 प्रतिशत ढांचागत वित्तपोषण) तक है. वर्ष 2014-15 में इस नियम की समीक्षा का प्रस्ताव है.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकिंग निरीक्षण पर गठित बेसल समिति (बीसीबीएस) ने एकल और काउंटर पार्टियों के समूह के लिये यह सीमा बैंकों की टीयर-एक पूंजी के 25 प्रतिशत तक रखी है. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि उसकी मंशा भी भारतीय बैंकों के मामले में इस सीमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरुप रखने की है. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में आने वाले वर्ष को ध्यान में रखते हुये एक नया अध्याय जोडा गया है जिसका शीर्षक ‘विजन एण्ड एजेंडा’ रखा गया है. इसी अध्याय में बैंक ने यह बात कही है.
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