नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय की ओर से आज रियल इस्टेट के प्रमुख उद्यमी डीएलएफ को 630 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने डीएलएफ को निर्देश दिया कि उसकी अपील लंबित होने के दौरान जुर्माने की 630 करोड़ रुपये की राशि जमा करायी जाये. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने कथित रुप से अनुचित व्यापारिक आचरण अपनाने के कारण डीएलएफ पर यह जुर्माना किया था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रतिस्पर्धा अपीली न्यायाधिकरण के 19 मई के आदेश के खिलाफ डीएलएफ की अपील लंबित होने के दौरान उसे तीन महीने के भीतर रजिस्टरी में यह रकम जमा करानी होगी. न्यायाधिकरण ने डीएलएफ पर 630 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के प्रतिस्पर्धा आयोग के फैसले को बरकरार रखा था.
न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और एन वी रमण की खंडपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, हम अपीलकर्ता (डीएलएफ) को निर्देश देते हैं कि 630 करोड़ रुपये की रकम इस न्यायालय में जमा करायी जाये. न्यायालय ने कहा कि जहां तक इस रकम पर ब्याज का सवाल है तो इसका निर्धारण नौ नवंबर, 2011 के प्रतिस्पर्धा आयोग के आदेश के अनुरुप ही होगा. यह नौ फीसदी निर्धारित किया गया था.
न्यायालय ने डीएलएफ को नये सिरे से यह आश्वासन दाखिल करने का निर्देश दिया कि अपील खारिज होने की स्थिति में वह न्यायालय के निर्देशानुसार सारी रकम का भुगतान करेगा. डीएलएफ ने यह रकम जमा कराने के लिये छह महीने का वक्त देने का अनुरोध किया था लेकिन न्यायालय ने उसे सिर्फ तीन महीने का समय दिया. यही नहीं, न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि उसे तीन सप्ताह के भीतर 50 करोड़ रुपये जमा कराने हैं और रजिस्टरी किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक में इसका निवेश करने के लिये स्वतंत्र होगी.
न्यायालय ने इसके साथ डीएलएफ की अपील विचारार्थ स्वीकार करते हुये मामले की सुनवाई स्थगित कर दी. इस मामले में हरियाणा सरकार और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को रेजीडेन्ट्स एसोसिएशन के साथ प्रतिवादी बनाया गया है. इसी एसोसिएशन की याचिका में डीएलएफ पर जुर्माना लगाया गया है.
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