सरकार ने कहा, कोलगेट पर न्‍यायालय करेगी फैसला

नयी दिल्‍ली : केंद्र सरकार ने 218 कोयला खदानों के आबंटन के मामले में फैसला आज उच्चतम न्यायालय पर छोड दिया. न्यायालय ने अपने फैसले में इन खदानों के आबंटन को गैरकानूनी घोषित किया था. सरकार ने इसके साथ ही न्यायालय से कहा कि चालू वर्ष में पांच करोड टन कोयले का उत्पादन करने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2014 8:47 PM

नयी दिल्‍ली : केंद्र सरकार ने 218 कोयला खदानों के आबंटन के मामले में फैसला आज उच्चतम न्यायालय पर छोड दिया. न्यायालय ने अपने फैसले में इन खदानों के आबंटन को गैरकानूनी घोषित किया था. सरकार ने इसके साथ ही न्यायालय से कहा कि चालू वर्ष में पांच करोड टन कोयले का उत्पादन करने के लिये करीब 40 खदानों में उत्पादन हो रहा है और छह अन्य खदानें भी इसके लिये तैयार हैं.

कोयला मंत्रालय ने इस संबंध में एक हलफनामा दाखिल किया है जिसमें अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी के एक मई के इन बयानों को भी शामिल किया है कि न्यायालय द्वारा गैरकानूनी घोषित किये गये आबंटनों को रद्द किये जाने पर सरकार को ‘आपत्ति नहीं’ है और वह नीलामी के लिये विशेष प्रकार को कोई तरीका अपनाने पर भी जोर नहीं दे रही है. न्यायालय के निर्देश पर दाखिल हलफनामे में कोयला उत्पादन कर रही करीब 40 खदानों और 2014-15 के दौरान उत्पादन शुरु करने वाली संभावित छह खदानों का विवरण दिया गया है.

हलफनामे में कहा गया है, ”अनुमान है कि इनसे चालू वर्ष में करीब पांच करोड टन कोयले का उत्पादन होगा.” कोयला मंत्रालय ने कोयला उत्पादन कर रही इन 40 खदानों और खनन के लिये तैयार छह खदानों के बोर में आबंटियों से मिली जानकारी का विवरण न्यायालय के समक्ष पेश किया. इसमें खनन का पट्टा, उत्पादन की शुरुआत और उत्पादन का अंतिम उपयोग तथा निवेश की जानकारी शामिल हैं. उत्पादन कर रही इन 40 खदानों में से दो का आबंटन अल्ट्रा मेगा विद्युत परियोजना के लिये किया गया है जिन्हें 25 अगस्त के फैसले में गैरकानूनी घोषित नहीं किया गया है.

हलफनामे में कहा गया है कि छह खदानें जिनमें उत्पादन शुरु होने की संभावना है, उनका निर्धारण ‘कोयला नियंत्रक संगठन’ ने निर्धारण किया है क्योंकि इन ब्लाकों को कोयला खदन नियंत्रण अधिनियम 2004 के नियम नौ के तहत खदान शुरु करने की अनुमति मिल चुकी है. यह अनुमति खनन चालू करने की दिशा में अंतिम मंजूरी होती है. मंत्रालय ने आबंटियों से 15 लिग्नाइट खदानों के बारे में मिली सूचना का ब्यौरा भी दिया है. मंत्रालय ने कहा है कि शीर्ष अदालत के फैसले के कारण उसे कुछ कठिनाई का सामना करना पड रहा है.

मंत्रालय ने इस संबंध में उचित निर्देश का अनुरोध किया है. मंत्रालय ने कहा है कि कई आबंटियों ने कोयला खदानों से संबंधित भूमि का मालिकाना हक प्राप्त कर दिया है लेकिन अब इन्हें गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है. पहले के आबंटियों को फिर से पदस्थापित कर भूमि केंद्र सरकार के नाम करने का निर्देश दिया जाये. हलफनामे के अनुसार, ”कोयला खदान रद्द होने की स्थिति में भूमि का मालिकाना हक आबंटी के पास रहेगा. बाद में कोयला खदान आबंटन होने की स्थिति में आबंटी के लिये पहले मालिक से भूमि का मालिकाना हक प्राप्त करना संभव नहीं होगा.”

हलफनामे में आगे कहा गया है, ”इसलिए सुझाव दिया जाता है कि ऐसे मामलों में आबंटियों को केंद्र सरकार के नाम या उसके नामित व्यक्ति को भूमि की खरीद के मूल्य का भुगतान करने भूमि लौटाने का निर्देश दिया जाये.” मंत्रालय ने कहा है कि 1993 से 2010 की अवधि के आबंटनों को गैरकानूनी घोषित करने के फैसले के मद्देनजर ”यह न्यायालय स्पष्ट कर दे कि कोयला आबंटन के बाद खनन के लिये किये गये पट्टे अवैध माने जायेंगे और इनका कोई कानूनी महत्व नहीं होगा.”

हलफनामे में बडी संख्या में उन बैंक गारंटी का भी जिक्र किया गया है जो अभी भी अस्तित्व में हैं और जिन्हें आबंटियों ने केंद्र सरकार या उसकी किसी संस्था को दिया है. कोयला खदानों का आबंटन गैरकानूनी घोषित किये जाने के मद्देनजर इस बारे में उचित कार्रवाई का अनुरोध किया है. मंत्रालय ने इस फैसले के मद्देनजर इस मामले को लेकर विभिन्न उच्च न्यायालय में दायर सभी याचिकाओं को निरर्थक घोषित करने का भी अनुरोध किया गया है. मंत्रालय ने न्यायालय को सूचित किया कि केंद्र सरकार ने मंत्रियों के समूह और अंतरमंत्रालयी समीक्षा समिति के जरिये 80 कोयला खदानों का आबंटन खत्म किया है.

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