नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार इस्पात उद्योग को उत्पादन बढाकर सालाना 30 करोड टन पहुंचाने में सहूलियत के लिए एक नयी इस्पात नीति लाने वाली है. मौजूदा समय में उद्योग की क्षमता सालाना 8.12 करोड टन है. सीआइआइ के एक कार्यक्रम में इस्पात एवं खान राज्यमंत्री विष्णु देव साई ने कहा, ‘नयी नीति में क्षमता विस्तार पर ध्यान दिए जाने की संभावना है और इसमें कच्चे माल की सुरक्षा, पर्यावरण की चुनौतियों व भूमि अधिग्रहण से जुडे मुद्दों का समाधान पेश किया जाएगा.’
मंत्री ने कहा कि भारत 2016 तक दूसरा सबसे बडा इस्पात विनिर्माता देश बनने की दिशा में है. मौजूदा समय में यह चौथे पायदान पर है. जीडीपी में इस्पात क्षेत्र करीब दो प्रतिशत योगदान करता है. इस्पात शिखर सम्मेलन 2014 को संबोधित करते हुए साई ने कहा कि उद्योग के समक्ष माल ढुलाई व अन्य लाजिस्टिक्स मुद्दों का समाधान करने के लिए एक पूर्वी गलियारा स्थापित करने के लिए बातचीत पहले से ही चल रही है.
उन्होंने कहा कि इस्पात क्षेत्र में अनुसंधान पर नजर रखने के लिए एक राष्ट्रीय निकाय होना चाहिए. इस मौके पर इस्पात सचिव राकेश सिंह ने कहा कि नयी इकाइयों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर विशेष उद्देशीय कंपनियों के गठबंधन के संबंध में चर्चा चल रही है.
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