एयरसेल-मैक्सिस करार : जांच की जद में चिदंबरम

नयी दिल्ली : पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम 2006 में हुए एयरसेल-मैक्सिस करार को लेकर मुश्किल में पड़ते दिखाई दे रहे हैं. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) इस करार को विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (एफआइपीबी) की मंजूरी दिये जाने को लेकर उनसे पूछताछ कर सकती है. एयरसेल-मैक्सिस मामले में विशेष अदालत में सौंपे गये अपने आरोप […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2014 9:01 AM

नयी दिल्ली : पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम 2006 में हुए एयरसेल-मैक्सिस करार को लेकर मुश्किल में पड़ते दिखाई दे रहे हैं. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) इस करार को विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (एफआइपीबी) की मंजूरी दिये जाने को लेकर उनसे पूछताछ कर सकती है.

एयरसेल-मैक्सिस मामले में विशेष अदालत में सौंपे गये अपने आरोप पत्र में सीबीआइ ने कहा है कि मैक्सिस की मॉरीशस स्थित सहयोगी कंपनी मेसर्स ग्लोबल कम्यूनिकेशन सर्विसेज होल्डिंग्स लिमिटेड ने 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर के विदेशी निवेश के लिए एफआइपीबी की मंजूरी मांगी थी. हालांकि इसकी मंजूरी देने के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीइए) सक्षम थी. बावजूद इसके इस मामले को एफआइपीबी के पास भेजा गया.

विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी की अदालत में दाखिल आरोप पत्र में कहा गया है कि बहरहाल, यह मंजूरी तत्कालीन वित्त मंत्री द्वारा दी गयी. तत्कालीन वित्त मंत्री द्वारा उक्त एफआइपीबी मंजूरी दिये जाने की परिस्थितियों की पड़ताल के लिए आगे की जांच की जा रही है.

इससे जुड़े मामलों की भी जांच जारी है. एजेंसी ने कहा है कि पूर्व वित्त मंत्री 600 करोड़ रु पये तक के परियोजना प्रस्तावों पर मंजूरी देने के लिए सक्षम थे. उससे ज्यादा के प्रस्तावों के लिए सीसीइए की मंजूरी लेना आवश्यक था.

आरोप पत्र में सीबीआइ ने दावा किया है कि इस मामले में 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर के एफडीआइ के लिए मंजूरी मांगी गयी थी. लिहाजा, इसके लिए सीसीइए की मंजूरी जरूरी थी, लेकिन यह मंजूरी नहीं ली ली गयी. फिलहाल उस वक्त के घटनाक्र मों से वाकिफ सूत्रों ने कहा कि एफआइपीबी ने सिर्फ मंत्री की मंजूरी मांगी थी सीसीइए की नहीं, क्योंकि उस समय के नियमों के तहत यह जरूरी नहीं था.

सीबीआइ ने एयरसेल-मैक्सिस करार के इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि मारन, टी आनंद कृष्णन, मलयेशियाई नागरिक आगस्टस राल्फ मार्शल और चार कंपनियों सन डायरेक्ट टीवी प्राइवेट लिमिटेड, मैक्सिस कम्यूनिकेशंस बरहड, साउथ एशिया एंटरटेनमेंट होल्डिंग लिमिटेड और एस्ट्रो ऑल एशिया नेटवर्क पीएलसी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है.

* सरकारी बैंकों पर एफडी घोटाले की आंच!

देना बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के बाद अब दूसरे सरकारी बैंकों में भी फिक्स्ड डिपॉजिट घोटाला होने की आशंका है. वित्त मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस आशंका को देखते हुए मंत्रालय ने एहतियातन सभी सरकारी बैंकों को पत्र लिख कर मोटी रकमवाली एफडी की जांच के आदेश दिये हैं. साथ ही, एफडी के लिए खास नीति बनाने का निर्देश भी दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि देना बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की तरह कई अन्य दूसरे सरकारी बैंकों में भी गड़बड़ी होने की आशंका है. इसी के चलते मंत्रालय ने सभी सरकारी बैंकों को निर्देश जारी किये हैं. मंत्रालय ने बैंकों से निवेशक की केवाइसी की छानबीन करने को भी कहा है. मंत्रालय ने सरकारी बैंकों को निर्देश दिया है कि एफडी के एवज में दिये गये ऋण की जांच की जाए. साथ ही, एफडी के एवज में दिये गये ऋण की जांच के तहत इस बात की पुष्टि की जाए कि निवेशकों को ऋण मिला या नहीं.

* दी अजमेर अरबन को-ऑपरेटिव का लाइसेंस रद्द

भारतीय रिजर्व बैंक ने अजमेर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया. रिजर्व बैंक ने अजमेर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक के लेन-देन पर वर्ष 2011 से रोक लगा रखी थी. अजमेर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक के स्पेशल ऑडिटर विनोद कुमार शर्मा ने शनिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि रिजर्व बैंक ने अजमेर को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि आरबीआइ ने बैंक में निरीक्षण के दौरान भारी अनियमताओं मिलने के बाद 29 अक्तूबर, 2011 को लेन-देन पर रोक लगा दी थी.

– 2006 में एयरसेल-मैक्सिस सौदे को (एफआइपीबी) द्वारा मंजूरी दिये जाने में किसी तरह नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया था. अधिकारियों ने मेरे सामने यह मामला रखा था और मैंने इसे सामान्य तरीके से मंजूरी दी थी.

पी चिदंबरम, पूर्व वित्त मंत्री

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