IIअमलेश नंदन II
इ-कामर्स कंपनी अलिबाबा ने ऑनलाइन व्यापार में आज दुनियाभर में अपना दबदबा बना लिया है. अलिबाबा के शेयरों में याहू के 40 प्रतिशत हिस्सेदारी के बाद सुर्खियों में आयी अलिबाबा मूल रूप से चीन की कंपनी है. मौजूदा समय में इस कंपनी में 22 हजार से अधिक कर्मचारी हैं. ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने और अत्यधिक एफएमसीजी उत्पादों के साथ लुभावनें आफरों के दम पर अलिबाबा में ऑनलाइन व्यापार में सबसे तेज अमेजन को काफी पीछे छोड़ दिया है. मौजूदा समय में कंपनी का कारोबार 22 बिलियन करोड़ डॉलर का है. चीनी मूल के जैक मा ने चार अप्रैल 1999 में इस कंपनी की नींव रखी थी. एस समय किसी ने भी नहीं सोचा था कि यह कंपनी सभी पुरानी कंपनियों को पीछे छोड़कर सबसे आगे निकल चुकी है. अमेरिकी शेयर मार्केट में कंपनी की लिस्टिंग होने के कुछ ही दिनों में इसके शेयर लगभग ढेड गुणी हो गयी. कई भारतीय निवेशकों ने भी इसमें पैसे लगाये हैं.
जैक मा ने शुरू की है कंपनी
15 अक्तूबर 1964 को चीन के हांगजू में जन्में जैक मां ने अमेरिकन कंपनी ‘सिलिकॉन वैली’ को टक्कर देने के लिए अलिबाबा नाम से इस कंपनी की शुरूआत की थी. 15 साल पहले शुरू की गयी इस कंपनी ने कभी दुनिया की नंबर एक कंपनी बनने का दावा नहीं किया था लेकिन याहू के सहयोग और अपने कार्यों के विस्तार ने इसे आज सबसे बड़ी कंपनी बना दिया है. चीन में इस कंपनी की शुरुआत वैसे समय में की गयी थी जब वीन का कार्पोरेट सेक्टर काफी पिछड़ा हुआ था. जैक मा की सफलता के बाद उन्हें चीन का बिल गेट्स भी कहा जाने लगा है. कंपनी आज दूनिया में सबसे बड़ा आइपीओ लाने वाली कंपनी बन गयी है साथ ही इसके शेयर अमेरिका सहित कई बड़े देशों में भी खरीदे जा रहे हैं.
कैसे पड़ा अलिबाबा नाम
कंपनी के फाउंडर जैक मा बताते हैं कि एक बार वह काफी शॉप में बैठकर अपनी कंपनी के नाम पर मंथन कर रहे थे. जैक का सोचना था कि उनकी कंपनी का नाम ऐसा हो जिसका उच्चारण देश-विदेश के लोग आसानी से कर सकें और उसके बारे में कुछ जानने की इच्छा रखें. अचानक उनके दिमाग में अलिबाबा नाम आया. उसी समय कॉफी शॉप की वेट्रेस आयी और जैक ने उससे पूछा अलिबाबा के बारे में जानती हैं. वेट्रेस ने कहा हां, अलिबाबा चालिस चोर को जानती हूं. उसके बाद काफी शॉप से निकलते ही जैक ने सड़कों पर लोगों से पूछना शुरू किया कि वे अलिबाबा को जानते हैं कि नहीं. ऐसे में अधिकतर लोगों ने बताया कि वे अलिबाबा को जानते हैं और इसी समय जैक ने निर्णय लिया कि नयी कंपनी का नाम अलिबाबा ही रहेगा.
जानिये जैक मा के बारे में
अलिबाबा के फाउंडर जैक का जन्म हांग्जो में हुआ है. अपने कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में दो बार फेल हो चुके जैक पढ़ने में काफी साधारण थे. यहांतक कि उन्हें अंग्रेजी भाषा का जरा भी ज्ञान नहीं था. अपनी अंग्रेजी मजबूत करने के लिए जैक हर दिन सुबह 45 मिनट तक होटलों के बाहर दूसरे देशों से आये सैलानियों के साथ अपनी टूटी-फूटी भाषा में वार्तालाप किया करते थे. 1988 में जैक ने अपना स्नातक पूरा किया. नेतृत्व की क्षमता जैक में शुरू से ही थी. कॉलेज में छात्र नेता चुना जाना इसका उदाहरण है. आज के समय में अलिबाबा को दूनिया के कोने-कोने में पहुंचानें में जैक की नेतृत्व क्षमता का उपयोग हो रहा है.
दुनिया के 240 से अधिक देशों में है कंपनी का कारोबार
एक बड़ी सोच के साथ शुरू की गयी एक छोटी कंपनी ने महज 15 सालों में दुनिया की सबसे बड़ी इ-कामर्स कंपनी बनने का गौरव हासिल किया है. एक समय पूंजी की कमी से जूझ रही अलिबाबा ने सितंबर 2014 में विभिन्न निवेशकों से लगभग 20 अरब डालर जुटाने का दावा किया है. कंपनी के कारोबार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी कंपनी लगभग ढाई सौ देशों में 79 करोड़ लोगों से जुड़ी हुई है. अपने 22 हजार से अधिक कर्मचारियों के बल पर कंपनी मेडिकल, कम्प्यूटर, टेक्नोलॉजी और भी कई उत्पादों को जन-जन तक पहुचाने का काम कर रही है.
कंपनी के शेयर दिला रहे हैं फायदा
अलिबाबा के शेयर खरीदनें वालों का दावा है कि कम समय में ही अलिबाबा के शेयर काफी तेजी से बढ़ रहे हैं जिससे निवेशकों को काफी फायदा मिल रहा है. ऐसे में छोटे और मंझोले सहित बड़े निवेशक भी इस कंपनी के शेयरों में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इससे कंपनी को व्यापार करने के लिए ज्यादा धन मिल रहा है जिससे यह और भी तेजी से आगे की ओर बढ रहा है. याहू का कंपनी के 40 प्रतिशत शेयरों में हिस्सेदारी के बाद कंपनी के शेयरों पर कई बड़ी कंपनियों की भी नजरे टिकी हुई हैं. इसके साथ ही छोटे निवेशक भी कंपनी के शेयरों को खरीदना चाहते हैं जिससे एसआईपी में भी कंपनी का नाम प्रथम सूचि में आने लगा है.
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