पीएसयू बैंकों को संकट से उबारने का आइबीए ने सरकार को बताया सूत्र
मुंबई : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद अर्थव्यवस्था की सुधार के लिए जो चुनिंदा पहल किये उसमें एक पहल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का स्वास्थ्य सुधारने की कोशिश भी है. मोदी सरकार के पहले बजट में छोटे बैंकों का विलय कर व होल्डिंग कंपनी बना कर उसका पूंजीकरण करने जैसे पहल किये. […]
मुंबई : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद अर्थव्यवस्था की सुधार के लिए जो चुनिंदा पहल किये उसमें एक पहल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का स्वास्थ्य सुधारने की कोशिश भी है. मोदी सरकार के पहले बजट में छोटे बैंकों का विलय कर व होल्डिंग कंपनी बना कर उसका पूंजीकरण करने जैसे पहल किये. सरकार ने ये पहल उसके बढ़ते एनपीए व अन्य चुनौतियों को देखते हुए किया, लेकिन इस बीच कोल ब्लॉक आवंटन रद्द किये जाने के फैसले से सरकार के सामने नयी चुनौती उत्पन्न हो गयी. सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले के बाद सरकार के बैंकिंग सेक्टर को ही सबसे ज्यादा नुकसान हुआ.
पिछले तीन दिनों में बैंकिंग इंडेक्स नौ प्रतिशत तक गिर गया है. स्टेट बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, इलहाबाद बैंक, यूनियन बैंक, आंध्रा बैंक व आइडीबीआइ के शेयरों में गिरावट आयी है. निज कंपनियों को कोल ब्लॉक मिला था, उनमें बैंकिंग सेक्टर का काफी पैसा लगा हुआ है. पीएसयू बैंक लंबे समय से पूंजी की कमी, एनपीए, व निजी क्षेत्रों के बैंकों की कड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंक के प्रमुखों न कोल आवंटन रद्द होने के बाद कंपनियों को खुद के द्वारा दिये गये कर्ज को लेकर चिंता जतायी है.
इस बीच इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आइबीए) ने कहा है कि यदि सरकार बिजली व इस्पात संयंत्रों को कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को पूरा करती है, तो बैंक अधिक प्रभावित नहीं होंगे. आइबीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एमवी टंकसाले ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द करने के फैसले से निश्चित रूप से बैंकों पर प्रभाव पड़ेगा. यदि सरकार यह देखने में सफल रहती है कि अभी तक जो उत्पादक क्षमता है, वहां उत्पादन बना रहता है, तो हमारा काम पूरा हो जायेगा.
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले से प्रभावित होने वाली सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की 11 कंपनियों को बैंकों ने ऋण दिया हुआ है. हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि बैंकों को इन कंपनियों से कितना कर्ज वसूलना है. रिपोर्ट के अनुसार, प्रभावित इकाइयों पर बैंकों का एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज बकाया है.
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