नयी दिल्ली : सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक द्वारा सेवा कर नहीं दिये जाने पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है. कोर्ट ने पूछा है कि जब गूगल सेवा कर का भुगतान कर रही है तो फेसबुक क्यों नहीं अदा कर रही और सरकार को इस मुद्दे पर बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति बदर दुर्रेज अहमद और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने सवाल किया, कैसे गूगल (सेवा कर) अदा कर रही है, लेकिन फेसबुक नहीं अदा कर रही? कैसे फेसबुक को छूट दी गयी है? हमें इसे समझने में मुश्किल हो रहा है. अदालत ने यह भी सवाल किया कि केंद्र सरकार इन मुद्दों के प्रति संवेदनशील है कि सोशल मीडिया साइट से डेटा बेच रहे हैं और लक्षित विज्ञापन की सेवा प्रदान कर रहे हैं.
पूर्व भाजपा नेता के एन गोविंदाचार्य की ओर से पेश वकील वीराग गुप्ता ने अदालत के समक्ष ये मुद्दे उठाए जिसके बाद अदालत ने सवाल किया, आप ये सब क्यों नहीं जानते? क्या आप इन चीजों के प्रति संवेदनशील हैं या यह आपकी समझ से बाहर है? केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता संजीव नरुला ने कहा कि फेसबुक इंक का यहां कोई दफ्तर नहीं है जबकि फेसबुक इंडिया का विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) में एक कार्यालय है जहां से वह सेवाएं निर्यात कर रही है और इसलिए उन्हें सेवा कर से मुक्त रखा गया है.
बहरहाल, पीठ ने सरकार से सूचना चाही कि भारत से फेसबुक कितना धन प्रेषित करती है और क्या वेबसाइट तथा विभिन्न भारतीय कंपनियों के बीच लेनदेन सेवाओं की प्रकृति की हैं. अदालत ने लंच से पहले की कार्यवाही में कहा, पता लगाएं वे (लेनदेन) क्या हैं?
क्या वे शुल्क-योग्य हैं और अगर कोई सेवाएं प्रदान की जा रही हैं तो वह भारत में निकायों की ओर से हैं या बाहर से? सेवा कर पर और साथ ही साथ सोशल मीडिया मार्गनिर्देशों पर एक बेहतर हलफनामा दाखिल करें. अदालत ने लंच के बाद यह भी सवाल किया कि क्या सरकार ने कोई ईमेल नीति बनाई है. बहरहाल, नरुला उस वक्त अदालत में मौजूद नहीं थे. अब मामले की सुनवाई एक अक्तूबर को की जाएगी.
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