एयरसेल-मेक्सिस मामला : अदालत ने सीबीआइ आरोप पत्र पर फैसला रखा सुरक्षित

नयी दिल्ली : विशेष 2 जी अदालत ने एयरसेल-मेक्सिस समझौता मामले में सीबीआइ के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के मुद्दे पर अपना आदेश 29 अक्तूबर तक के लिए सुरक्षित कर लिया है. इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि मारन और अन्य लोग आरोपी हैं. विशेष सीबीआइ न्यायाधीश ओपी सैनी ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 13, 2014 12:53 PM

नयी दिल्ली : विशेष 2 जी अदालत ने एयरसेल-मेक्सिस समझौता मामले में सीबीआइ के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के मुद्दे पर अपना आदेश 29 अक्तूबर तक के लिए सुरक्षित कर लिया है. इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि मारन और अन्य लोग आरोपी हैं. विशेष सीबीआइ न्यायाधीश ओपी सैनी ने कहा, ‘‘संज्ञान के लिए तर्को को सुन लिया गया है. आदेश को 29 अक्तूबर तक के लिए सुरक्षित कर दिया गया.’’

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान सीबीआइ के वकील केके गोयल ने अदालत को बताया कि आरोपपत्र पर संज्ञान लिया जाना चाहिए और प्रथम दृष्ट्या यह मामला सभी आरोपियों के खिलाफ बनता है. वकील ने कहा, ‘‘हमारा अनुरोध यह है कि संज्ञान लिया जाए. इस मामले में जांच बाहरी देशों से भी जुड़ी है. प्रथम दृष्ट्या यह मामला सभी आरोपियों के खिलाफ बनता है और उनके खिलाफ पर्याप्त आधार है.’’

इसी बीच न्यायाधीश ने वकील से पूछा था कि क्या मामले से जुड़े सभी दस्तावेज अदालत के समक्ष पेश किए जा चुके हैं? अदालत के सवाल के जवाब में वकील ने कहा कि उन्होंने संबद्ध दस्तावेजों को अदालत के समक्ष दायर कर दिया है और मामले की जांच अभी भी जारी है. 29 अगस्त को सीबीआइ ने दयानिधि, कलानिधि और छह अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें चार कंपनियां भी शामिल थीं. मारन बंधुओं के अलावा सीबीआइ ने इस मामले में जिन्हें आरोपी बनाया है, वे हैं- मलेशिया के दिग्गज उद्योगपति टी आनंद कृष्णन, मलेशियाई नागरिक अगस्तस राल्फ मार्शल और चार कंपनियां- सन डारेक्ट टीवी प्रा लि, मेक्सिस कम्युनिकेशन बरहद, एस्ट्रो ऑल एशिया नेटवर्क पीएलसी और साउथ एशिया एंटरटेनमेंट होल्डिंग लिमिटेड.

इन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत आरोपित किया गया है. 72 पृष्ठों के आरोपपत्र में सीबीआइ के उन 151 गवाहों और 655 दस्तावेजों का जिक्र है, जिन पर एजेंसी जांच के दौरान निर्भर रही है.

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