20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जानिये! कैसे एक व्‍यापारी ने डुबोई DLF की नैया

07:09 Pm नयी दिल्‍ली : एक शिकायतकर्ता ने रियल स्‍टेट की प्रमुख कंपनी डीएलएएफ पर 34 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाया साथ ही तीन गृहणियों ने कंपनी के आईपीओ के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी और अंतत: डीएलएफ को इतना भारी नुकसान उठाना पड़ा. सेबी की ओर से डीएलएफ पर एक बड़ी कार्रवाई का […]

07:09 Pm

नयी दिल्‍ली : एक शिकायतकर्ता ने रियल स्‍टेट की प्रमुख कंपनी डीएलएएफ पर 34 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाया साथ ही तीन गृहणियों ने कंपनी के आईपीओ के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी और अंतत: डीएलएफ को इतना भारी नुकसान उठाना पड़ा. सेबी की ओर से डीएलएफ पर एक बड़ी कार्रवाई का बीजारोपण उक्‍त लोगों के द्वारा ही किया गया था. सेबी ने भी कहा कि कंपनी के 2007 के प्रथम सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की विवरण पुस्तिका में इन सौदों और इनसे जुडे जोखिमों को सार्वजनिक नहीं किया था. इसी की वजह से उसे शेयर बाजार से बाहर रहने का ओश दे दिया गया. चलिए जानते हैं इस कार्रवाई के सूत्रधारों के बारे में –

2007 में अपने आईपीओ से डीएलएफ ने बाजार से 9,187.5 करोड़ रुपये जुटाये थे. डीएलएफ का आईपीओ उस समय देश में सबसे बडा आईपीओ था. डीएलएफ के आईपीओ को लेकर व्यवसायी किंशुक कृष्ण सिन्हा ने सेबी में 4 जून 2007 और 19 जुलाई 2008 को दो शिकायतें दर्ज करायी थीं. पहली शिकायत में उन्होंने कहा कि सुदीप्ति एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी और कुछ अन्य लोगों ने भूमि खरीद के मामले में उनके साथ 34 करोड रुपए की धोखाधडी की है. उन्होंने इस संबंध में सुदीप्ति और प्रवीण कुमार व कुछ अन्य के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की थी. सिन्हा ने यह भी कहा था कि सुदीप्ति में सिर्फ दो ही शेयरधारक थे एक डीएलएफ होम डेवलपर्स लिमिटेड (डीएचडीएल) और दूसरा डीएलएफ एस्टेट डेवलर्प लिमिटेड (डीईडीएल). सिन्हा ने कहा कि ये दोनों कंपनियां डीएलएफ समूह की अंग हैं. अपनी दूसरी शिकायत में सिन्हा ने कहा कि डीएलफ इस बात से इनकार कर रही है उसका या उसकी अनुषंगियों का सुदीप्ति से कोई संबंध है. उन्होंने दावा किया कि डीएलएफ का सुदीप्ति के साथ संबंध न होने की बात गलत थी. सेबी द्वारा इस संबंध में पूछने पर डीएलफ ने संबंध से इनकार कर दिया. डीएलएफ के जवाब से संतुष्ट न होने पर सिन्हा ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जिसने अप्रैल 2010 में सेबी से कहा कि वह इस मामले की जांच करे. सुदीप्ति और डीएलएफ की याचिका पर विचार करने के बाद उच्च न्यायलय ने जुलाई 2011 में एक अन्य आदेश जारी किया और सेबी को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया. इसके बाद सेबी ने सिन्हा द्वारा 2007 में की गई दोनों शिकायतों की जांच करने का आदेश दिया. जांच के बाद सेबी ने डीएलफ को जून 2013 में डीएलएफ, चेयरमैन एवं मुख्य प्रवर्तक सिंह, उनके पुत्र राजीव सिंह, पुत्री पिया सिंह, और तीन अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिनमें प्रबंध निदेशक टी सी गोयल, तत्कालीन मुख्य वित्त अधिकारी रमेश संका, तत्कालीन कार्यकारी निदेशक (विधि) कामेश्वर स्वरुप और तत्कालीन गैर कार्यकारी निदेशक जी एस तलवार शामिल थे. नियामक ने कहा कि 26 मार्च 2006 को सुदीप्ति और दो अन्य कंपनियों शालिका एस्टेट डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड एवं फेलिसाइट बिल्डर्स एंड कंस्ट्रक्शन का गठन किया गया था. 29 नवंबर 2006 को फेलिसाइट की पूरी हिस्सेदारी तीन लोगों मधुलिका बसाक, नीति सक्सेना और पद्मजा संका को बेची गई. ये तीनों क्रमश: सुरजीत बसाक, जॉय सक्सेना और रमेश संका की पत्नी थीं जो डीएलफ के अधिकारी थे. अगले दिन शालिका में डीएलएफ की अनुषंगियों की पूरी हिस्सेदारी फेलिसाइट को जबकि सुदीप्ति की पूरी हिस्सेदारी शालिका को बेच दी गई. वे तीनों शेयरधारक डीएलएफ की अनुषंगियों से फेलिसाइट की पूरी हिस्सेदारी खरीद कर फेलिसाइट के 100 प्रतिशत शेयरधारक हो गए और बाद में वह शालिका के 100 प्रतिशत की हिस्सेदार और फिर वह सुदीप्ति की 100 प्रतिशत की हिस्सेदार हो गयी. ये तीनों शेयरधाक डीएलएफ के मुख्य प्रबंधन अधिकारियों की पत्नियां थीं. सेबी ने कहा ये तीनों शेयर धारक प्रतिभूति बाजार के नियमित निवेशक-कारोबारी नहीं थे हालांकि उनका दावा है कि उन्होंने रीयल एस्टेट में निवेश के लिए फेलिसाइट की पूरी हिस्सेदारी खरीदी थी. उन्होंने कहा ये तीनों घरेलू महिलाएं थीं और उनके बैंक में अपने पतियों के साथ संयुक्त खाते थे. इस तहर इनके द्वारा शेयरों की खरीद के लिए धन उनके पतियों के संयुक्त खाते से किया गया. सेबी ने कहा कि जिस तरह इन कंपनियों के शेयरों के निवेश के लिए संयुक्त खातों से निवेश किया गया उसके आधार पर कहा गया है कि सुदीप्ति, शालिका और फेलिसाइट में डीएलएफ का नियंत्रण कभी खत्म नहीं हुआ था. डीएलएफ की ओर से दलील दी गयी कि कानून में ऐसी कोई वर्जना नहीं है कि कोई गृहिणी शेयर नहीं खरीद सकती. कंपनी ने यह भी कहा कि किसी शेयर के लिए संयुक्त खाते से किए गए भुगतान के आधार पर उसकी वैधता या प्रमाणिकता के बारे में कोई प्रतिकूल बात नहीं कही जा सकती. सेबी ने उन गृहिणियों को ‘नियमित निवेशक या कारोबारी’ नहीं स्वीकार किया और कहा कि इन के पास अपनी कोई आय नहीं थी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें