महिला विरोधी है फेसबुक-एप्पल का बेबी कैश ऑफर

प्रकृति के साथ खिलवाड़ हमेशा ही विनाशकारी साबित हुआ है, बावजूद इसके विश्व के शीर्षस्थ कंपनियों में शुमार फेसबुक और एप्पल अपनी महिला कर्मचारियों को मां बनने से रोकने की हिमाकत कर रही है. फेसबुक और एप्पल ने अपनी महिला कर्मचारियों को अपना अंडाणु सुरक्षित रखने और एक निश्चत आयुसीमा के बाद मां बनने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 15, 2014 3:39 PM

प्रकृति के साथ खिलवाड़ हमेशा ही विनाशकारी साबित हुआ है, बावजूद इसके विश्व के शीर्षस्थ कंपनियों में शुमार फेसबुक और एप्पल अपनी महिला कर्मचारियों को मां बनने से रोकने की हिमाकत कर रही है. फेसबुक और एप्पल ने अपनी महिला कर्मचारियों को अपना अंडाणु सुरक्षित रखने और एक निश्चत आयुसीमा के बाद मां बनने के लिए 20 हजार डॉलर की पेशकश की है.

दुनिया कायम रखने के लिए जरूरी है बच्चे का जन्म लेना
यह खबर राइटर न्यूज एजेंसी के हवाले से आयी है, इसलिए इसकी सत्यता पर प्रश्नचिह्न नहीं लगाया जा सकता है. खबर तो यहां तक है कि कई महिलाओं ने इस पेशकश को स्वीकार करना भी शुरू कर दिया है.

लेकिन सवाल यह है कि आखिर इन कंपनियों ने ऐसा दुस्साहस क्यों किया. प्रकृति ने महिलाओं को सृजन की शक्ति दी है, जिसके कारण वे अपनी कोख में एक बच्चे को आकार देती हैं और उसे नौ महीने बाद जन्म देती हैं. एक महिला के लिए यह वरदान है और पूरी मानव जाति इस वरदान के लिए प्रकृति की ऋणी है.

इस दुनिया में मनुष्य के अस्तित्व को बचाये रखने के लिए वरदान निहायत ही जरूरी है. ऐसे में महिला के इस प्राकृतिक शक्ति पर अंकुश लगाने की हिमाकत को क्या कहा जाये?

पैसे का मोह प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ सकता है
अगर महिलाएं पैसे के मोह में कंपनियों द्वारा दिये जा रहे ऑफर को स्वीकार कर लेती हैं, जैसा कि वे कर रही हैं, तो यह स्थिति प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ सकती है. अभी तो यह शुुरुआत है, लेकिन अगर अन्य कंपनियों ने भी फेसबुक और एप्पल की देखादेखी की, तो एक समय ऐसा भी आ सकता है कि बच्चों का जन्मदर काफी घट जाये.

फिर विश्व को चीन बनने से नहीं रोका जा सकता है, जहां वृद्धों की संख्या सर्वाधिक है. अगर सही समय पर बच्चे जन्म नहीं लेंगे, तो उनका पालन पोषण भी सही तरीके से नहीं हो पायेगा, यह बात भी हमें समझनी होगी.

महिलाओं में बढ़ सकती है बच्चे को जन्म नहीं देने की प्रवृत्ति
कैरियर को सुदृढ़ करने की प्रवृत्ति ज्यों-ज्यों महिलाओं में बढ़ रही है,कई ऐसी खामियां समाज में पनप रहीं हैं, जिसका खामियाजा पूरे समाज को भुगतना पड़ रहा है. ऐसी ही एक आम प्रवृत्ति है शादी न करने की. समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार है. परिवार का जन्म दोनों लोगों द्वारा विवाह के उपरांत होता है. लेकिन जबसे विवाह न करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, परिवार पर संकट बढ़ रहा है, जो आधुनिक मानव समाज के लिए दीर्घकालिक परेशानियां खड़ी कर सकता है.
महिला अधिकारों का हनन
सृजनात्मकता महिलाओं का अधिकार है. इसपर अंकुश लगाना निश्चित तौर पर उनके अधिकारों का हनन है. इस तरह की कोशिश लिंग आधारित भेदभाव का एक उदाहरण है. आखिर इस तरह की कोई कोशिश पुरुषों के अधिकारों पर लगाम कसने के लिए के लिए क्यों नहीं की जाती है. कुछ ही दिनों पहले माइक्रोसाफ्ट के सीईओ ने महिला कर्मचारियों पर टिप्पणी की थी कि वे वेतन में वृद्धि की मांग करने की बजाय, अपने काम पर ध्यान दें.

यह टिप्पणी भी लिंग आधारित भेदभाव का उदाहरण है. इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जब कंपनियां महिलाओं के साथ इस तरह का भेदभाव करती रहीं हैं. पहले हेयर होस्टेस को एक निश्चित आयु तक विवाह करने की इजाजत नहीं दी जाती थी. अगर वे ऐसा करतीं थीं, तो उनकी नौकरी ही समाप्त कर दी जाती थी. लेकिन आवाज बुलंद किये जाने के बाद स्थिति में बदलाव आया. लेकिन अब जो नयी शुरुआत अमेरिका जैसे विकसित देश से हो रही है,वह एक नये विनाश की शुरुआत है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version