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जानिये डा. अरविंद सुब्रमण्‍यम के बारे में दस खास बातें

संकट की घड़ी से जूझ रही भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को उबारने के लिए एक ओर जहां रघुराम राजन जैसे व्‍यक्त्वि को रिजर्व बैंक का कमान सौंपा गया है, वहीं आज मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला करते हुए जाने-माने अर्थशास्‍त्री डा. अरविंद सुब्रमण्‍यम को मुख्‍य आर्थिक सलाहकार नियुक्‍त कर दिया है. आइये जानते हैं डा. सुब्रमण्‍यम […]

संकट की घड़ी से जूझ रही भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को उबारने के लिए एक ओर जहां रघुराम राजन जैसे व्‍यक्त्वि को रिजर्व बैंक का कमान सौंपा गया है, वहीं आज मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला करते हुए जाने-माने अर्थशास्‍त्री डा. अरविंद सुब्रमण्‍यम को मुख्‍य आर्थिक सलाहकार नियुक्‍त कर दिया है. आइये जानते हैं डा. सुब्रमण्‍यम के बारे में दस खास बातें-

1. डा. अरविंद सुब्रमण्‍यम सेंट स्टीफंस कॉलेज और भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद के भी छात्र रहे हैं.

2. डा. सुब्रमण्‍यम अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में अर्थशास्त्री तथा जी-20 पर वित्त मंत्री के विशेषज्ञ समूह के सदस्य भी रहे हैं.

3. डा. अरविंद सुब्रमण्‍यम पीटरसन इंस्‍टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्‍स में डेनिस वेदरस्‍टोन सीनियर फेलो और वैश्विक विकास केन्द्र में सीनियर फेलो हैं.

4. ‘आरईपीर्इसी’ रैंकिंग के मुताबिक, डॉ. सुब्रमण्‍यम को मौजूदा समय में अनुसंधान उद्धरण के लिहाज से विश्‍व के शीर्ष एक फीसदी विद्वान अर्थशास्त्रियों में शुमार किया गया है.

5. ‘फॉरेन पॉलिसी’ नामक पत्रिका ने डा. सुब्रमण्‍यम को वर्ष 2011 में विश्‍व के शीर्ष 100 वैश्विक चिंतकों में शुमार किया था.

6. वर्ष 2011 में पत्रिका ‘इंडिया टुडे’ ने डा; सुब्रमण्‍यम को पिछले तीस वर्षों के दौरान भारत के शीर्ष 30 ‘मास्‍टर्स ऑफ द माइंड’ में शामिल किया था.

7. डा. सुब्रमण्‍यम ने ‘इक्लिप्‍स : लिविंग इन द शैडो ऑफ चाइनाज इकोनॉमिक डोमिनेंस’ नामक पुस्‍तक लिखी है. जिसे चार भाषाओं प्रकाशित किया गया है और इसकी 130,000 प्रतियां छापी गई हैं. इस पुस्‍तक को पुरस्‍कृत भी किया गया है.

8. डॉ. सुब्रमण्‍यम अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष के शोध विभाग में एवं उरुग्‍वे दौर की व्‍यापार वार्ताओं के दौरान गैट में भी कार्यरत रहे थे.

9. डॉ. सुब्रमण्‍यम ने भारत, विकास, व्‍यापार, संस्‍थानों, मदद, जलवायु परिवर्तन, तेल, बौद्धिक संपदा, डब्‍ल्‍यूटीओ, चीन और अफ्रीका पर काफी कुछ लिखा है. उनकी कई लेखें विभिन्‍न पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुईं हैं.

10. अमेरिकन इकोनॉमिक रिव्‍यू, जर्नल ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ एवं जर्नल ऑफ पब्लिक इकोनॉमिक्‍स जैसी कई जानी-मानी पत्रिकाओं में उनके बारे में काफी छपा है.

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