नयी दिल्ली : कर्मचारियों की भविष्य निधि का पैसा शेयर बाजार में लगाने की तैयारी चल रही है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के कुछ ट्रस्टी संगठन के कोष का कुछ धन मुनाफा कमाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में निवेश करने के पक्षधर हैं. ईपीएफओ के पास छह लाख करोड रुपये का बडा कोष है.
ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) के गैर-आधिकारिक सदस्यों की हाल ही में श्रम मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ हुई अनौपचारिक बैठक में उत्तर प्रदेश के इंटक के अध्यक्ष अशोक सिंह ने मुनाफा कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में निवेश का सुझाव दिया.
सिंह ने कहा कि मैंने यह सुझाव दिया है कि राशि में वृद्धि करने के लिये ईपीएफओ कोष का कुछ हिस्सा मुनाफा कमाने वाली नवरत्न कंपनियों के शेयरों में निवेश किया जाना चाहिये. उन्होंने कहा, मैंने यह भी सुझाव दिया है कि ईपीएफओ को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में विशेषज्ञों की सलाह के साथ ही निवेश करना चाहिये और इस काम के लिये एक निगरानी प्रणाली भी होनी चाहिये.
अशोक सिंह के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में कोई भी निवेश करने से पहले ईपीएफओ की अपने कोष को व्यवस्थित रखने के साथ उसकी लेखापरीक्षा के लिये दो अलग-अलग समितियां होनी चाहिये. उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ के प्रतिनिधि एक अन्य ट्रस्टी पी.जे. बानासुर ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किये. कर्मचारियों को उनकी भविष्य निधि जमा पर 8.75 प्रतिशत सालाना दर से कम ब्याज दिया जा रहा है जबकि इससे पहले ईपीएफओ 12 प्रतिशत तक ब्याज देता रहा है.
श्रम मंत्री तोमर ने ट्रस्ट के गैर-सरकारी ट्रस्टियों की विभिन्न मुद्दों पर नियोक्ताओं और कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के विचार जानने के लिये 13 अक्तूबर को बैठक बुलाई थी. हिन्द मजदूर सभा के सचिव और एक अन्य ट्रस्टी ए.डी. नागपाल भी इस बैठक में उपस्थित थे. उन्होंने कहा, यह अनौपचारिक बैठक थी, कोई निर्णय नहीं लिया गया. हम भविष्य निधि जमा पर प्रतिफल बढाने के पक्ष में हैं लेकिन यह काम किसी तरह के इक्विटी निवेश के जरिये नहीं होना चाहिये.
अखिल भारतीय श्रमिक संघ कांग्रेस के सचिव और केंद्रीय न्यासी बोर्ड के एक अन्य ट्रस्टी डी.एल. सचदेव ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किये. उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्रालय ईपीएफओ के कोष के कुछ हिस्से को इक्विटी बाजार में निवेश करने पर जोर देता रहा है ताकि उसकी कमाई बढाई जा सके. लेकिन शेयर बाजार की घटबढ वाली प्रकृति को देखते हुये श्रमिक संगठनों के कडे विरोध के कारण ईपीएफओ इक्विटी में निवेश नहीं कर पाया.
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