SEBI के आदेश के खिलाफ DLF ने खटखटाया सैट का दरवाजा, 22 अक्तूबर को होगी सुनवाई
नयी दिल्ली :देश की सबसे बडी रीयल एस्टेट कंपनी डीएलएफ ने आज सेबी के आदेश के खिलाफ प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) में अपील की है. सेबी ने डीएलएफ और उसके शीर्ष कार्यकारियों पर तीन साल के लिये पूंजी बाजार में खरीद फरोख्त करने से रोक लगा दी है. डीएलएफ की अपील पर सैट में 22 […]
नयी दिल्ली :देश की सबसे बडी रीयल एस्टेट कंपनी डीएलएफ ने आज सेबी के आदेश के खिलाफ प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) में अपील की है. सेबी ने डीएलएफ और उसके शीर्ष कार्यकारियों पर तीन साल के लिये पूंजी बाजार में खरीद फरोख्त करने से रोक लगा दी है. डीएलएफ की अपील पर सैट में 22 अक्तूबर को सुनवाई होगी.
डीएलएफ को तगडा झटका देते हुये सेबी द्वारा पारित आदेश में कहा गया, सात साल पहले आईपीओ जारी करते समय जानबूझकर और सक्रियता के साथ महत्वपूर्ण सूचनाओं को दबावाया गया. डीएलएफ का प्रारम्भिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीआई) वर्ष 2007 में आया था और इसके जरिये 9,187 करोड रुपये जुटाये गये. उस समय यह देश का सबसे बडा आईपीओ था.
सेबी ने यह कदम कंपनी द्वारा आईपीओ के समय महत्वपूर्ण सूचनाओं को जानबूझकर और पूरी सक्रियता के साथ छुपाने के जुर्म में यह कार्रवाई की. नियामक ने हालांकि किसी तरह का कोई मौद्रिक जुर्माना नहीं लगाया लेकिन उसके द्वारा लगाये गये प्रतिबंध से डीएलएफ और उसके छह शीर्ष कार्यकारी प्रतिभूति बाजार में तीन साल तक धन जुटाने सहित किसी तरह के शेयरों की बिक्री, खरीदारी तथा अन्य खरीद फरोख्त नहीं कर सकेंगे.
डीएलएफ पर 30 जून 2014 को 19,000 करोड रुपये का कर्ज था. कंपनी ने धन जुटाने के लिये पहले से अपनी योजना की घोषित कर रखी है. इसमें बॉंड के जरिये 3,500 करोड रुपये जुटाने की भी योजना प्रस्तावित है.सेबी का यह पहला ऐसा आदेश है जिसमें उसने शेयर बाजार में सूचीबद्ध किसी प्रमुख कंपनी और उसके शीर्ष प्रवर्तक एवं कार्यकारियों को बाजार में कामकाज करने से रोक लगाई है.
डीएलएफ देश में रीयल एस्टेट क्षेत्र की सबसे बडी कंपनी है जिसका सालाना कारोबार 10,000 करोड रुपये के करीब है. मंगलवार को सेबी आदेश के बाद कंपनी का शेयर करीब 30 प्रतिशत तक टूट गया जिससे उसका बाजार पूंजीकरण करीब 7,500 करोड रुपये कम हो गया, हालांकि अगले कारोबारी सत्र में कंपनी के शेयर कुछ सुधर गये. डीएलएफ के आईपीओ ने 2007 में उस समय 9,187 करोड रुपये जुटाये थे.
उस समय यह देश का सबसे बडा आईपीओ था. सेबी ने जिनपर पूंजी बाजार में सौदे करने से रोक लगाई है उनमें के.पी. सिंह के अलावा उनके बेटे राजीव सिंह (उपाध्यक्ष), बेटी पिया सिंह (पूर्णकालिक निदेशक), प्रबंध निदेशक टी.सी. गोयल, पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी रमेश शंका और कामेश्वर स्वरुप जो कि कंपनी के सार्वजनिक निर्गम के समय वर्ष 2007 में डीएलएफ के कार्यकारी निदेशक कानूनी मामले थे.
डीएलएफ ने इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उसने किसी कानून का कोई उल्लंघन नहीं किया. वह सेबी के आदेश में किसी भी गलत निष्कर्ष के खिलाफ अपनी स्थिति का बचाव करेगी. कंपनी के वक्तव्य में कहा गया, डीएलएफ को न्याययिक प्रक्रिया में पूरा भरोसा है और उसे पूरा विश्वास है कि निकट भविष्य में उसकी बात सही साबित होगी.
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य राजीव अग्रवाल ने अपने 43 पृष्ट के आदेश में कहा, यह उल्लंघन काफी गंभीर हैं और ऐसे मामलों का प्रतिभूति बाजार की सुरक्षा और भरोसे पर व्यापक असर होता है.
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