नयी दिल्ली : विश्व बैंक की एक रपट के अनुसार सुधारों के गति पकडने की वजह से भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2014-15 में 5.6 प्रतिशत रहने की संभावना है. रपट में कहा गया है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे प्रस्तावित कदमों से विनिर्माण क्षेत्र को बल मिलने से वृद्धि और मजबूत होने की उम्मीद है. विश्व बैंक ने यहां जारी अपनी रपट ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट’ में यह निष्कर्ष निकाला है.
रपट में कहा गया है कि आने वाले वित्त वर्षों में जीडीपी की वृद्धि दर और बढकर वित्त वर्ष 2015-16 में 6.4 प्रतिशत तथा वित्त वर्ष 2016-17 में 7 प्रतिशत होने का अनुमान है. रपट में कहा गया है, भारत की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2014-15 में बढकर 5.6 प्रतिशत होने का अनुमान है. इसमें कहा गया है कि जीएसटी के कार्यान्वयन तथा राज्यों के बीच चेक पोस्टों के समाप्त होने से भारतीय विनिर्माण फर्मों की वैश्विक प्रतिस्पर्धी क्षमता काफी हद तक बढ सकती है.
रपट के अनुसार जीएसटी के कार्यान्वयन से भारत एकसमान बाजार में बदल जाएगा और यह विनिर्माण क्षेत्र को आगे बढाने में महत्वपूर्ण कदम होगा. विश्व बैंक में वरिष्ठ अर्थशास्त्री (भारत) डेनिस मेदवेदेव ने कहा कि सुधारों विशेषकर अंतरराज्यीय चेकपोस्टों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से प्रतिस्पर्धी क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और इससे परिदृश्य को घरेलू व बाहरी जोखिमों को समायोजित करने में मदद मिलेगी.
विश्व बैंक के कंटरी निदेशक ओन्नो रुहल ने कहा कि मौजूदा सरकार सुधारों को लेकर सकारात्मक है जो कि अच्छा है. उन्होंने कहा, आर्थिक सुधारों के गति पकडने के साथ भारत में वृद्धि के लिए दीर्घकालिक परिदृश्य बेहतर है. इसके समुचित दोहन के लिए भारत को अपने घरेलू सुधार एजेंडे पर लगातार आगे बढते रहना होगा और निवेश को प्रोत्साहित करना होगा. उन्होंने कहा, विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन सुधारने के सरकार के प्रयासों से भारतीय युवाओं के लिए और अधिक रोजगार सृजित होंगे.
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