कम कीमत पर सोना खरीदने में आपको मिल सकता है धोखा

नयी दिल्‍ली : भारत में स्‍वर्ण आभूषण धारन करने की परंपरा काफी पुरानी है. सभी तबके के लोग सोना खरीदते और पहनते हैं. इधर पिछले कई दिनों से सोना की कीमतों में भारी गिरावट आयी है. सोना 32 हजार प्रति दस ग्राम से नीचे गिरकर लगभग 25 हजार प्रति दस ग्राम हो गया है. ऐसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 11, 2014 1:36 PM

नयी दिल्‍ली : भारत में स्‍वर्ण आभूषण धारन करने की परंपरा काफी पुरानी है. सभी तबके के लोग सोना खरीदते और पहनते हैं. इधर पिछले कई दिनों से सोना की कीमतों में भारी गिरावट आयी है. सोना 32 हजार प्रति दस ग्राम से नीचे गिरकर लगभग 25 हजार प्रति दस ग्राम हो गया है.

ऐसे में दुकानदार अपना मुनाफा बनाये रखने के लिए सोना में कई प्रकार से मिलावट करते हैं और ग्राहकों को बताये गये मापदंड के अनुसार सोना या उससे निर्मित गहनें नहीं देते हैं. ऐसे में जब ग्राहक उस आभूषणों को दुबार बेचना चाहते हैं तो उन्‍हें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

रिफायनिंग कंपनी के हवाले से बताया गया है कि भारतीय उपभोक्ता जो भी सोना या गहने खरीदते है उसमें उतना सोना नहीं होता जितना उन्हें बताया जाता है. रिफाइनिंग कंपनी के मुताबिक सोने के प्रोसेसिंग के लिए जो स्क्रैप गोल्ड मुहैया कराया जाता है, उसमें 80 पर्सेंट ही गोल्ड होता है जो 22 कैरेट गोल्ड जूलरी का स्टैंडर्ड है.

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड अधिकारियों ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि शहरों के कई रिटेलर्स जो हॉल मार्क सर्टिफिकेशंस का दावा कर गोल्ड प्रॉडक्ट बेचते हैं, उनमें भी सोने की मात्रा कम होती है. एमएमटीसी पीएएमपी के मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश खोसला के अनुसार रिफाइनिंग के लिए स्क्रैप के फॉर्म में गोल्ड मिलता है.

औसतन इसमें गोल्ड की मात्रा 80 से 85 पर्सेंट के बीच होती है. बाद में आभूषण तैयार करते समय इसकी शुद्धता और भी कम हो जाती है. खोसला ने कहा कि जूलरी खरीदने के दौरान अभी भी इंडियन कंज्यूमर्स को काफी सावधानी बरतनी पड़ती है. इसके विपरित पश्चिमी देशें में सोने के आभूषणों की शुद्धता को लकर ज्‍यादा असमंजस की स्थिति नहीं होती है, क्‍योंकि वहां 12 से 14 कैरेट गोल्‍ड के आभूषण ही तैयार किये जाते हैं.

उन्होंने कहा कि भारत में बिकने वाले स्‍वर्ण आभूषण हाई कैरेट के होते हैं. इस वजह से गोल्ड कंटेंट की भूमिका बढ़ जाती है. खोसला बताते हैं कि इंडियन कंज्यूमर्स को सोने के आभूषण खरीदते समय अगल से मेकिंग चार्जेज का भुगतान करना पड़ता है और ऐसे में गोल्ड कंटेंट के मामले को यूं ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

सोना खरीदते वक्‍त इन बातों का रखे खयाल
सोने की शुद्धता की जांच आम आदमी के लिए काफी मुश्किल भरा होता है. सोने के गहने लेते वक्त सबसे पहला विचार यही आता है कि वह कितना शुद्ध है और उसपर ‌कितना रिटर्न मिलेगा. कई दुकानदार अपने बेचे गए गहने को बाजार में चल रहे रेट के अनुसार वापस लेने का दावा करता है लेकिन अगर आप उसके पास जाएंगे तो जरूरी नहीं कि दावे के अनुरूप ही मुनाफा मिले और सोना वाकई उतना शुद्ध हो जितना कि उसने दावा किया था.
ऐसे में सोने के लिए बीआईएस 916 हॉलमार्क को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शुद्धता का पैमाना माना जाता है जिसमें यह गारंटी होती है कि सोना 91.6 प्रतिशत खरा है यानी 22 कैरेट है. हॉलमार्क के गहने खरीदते वक्त आपको थोड़ी कीमत अधिक देनी होगी जिसमें इस परीक्षण की लागत को शामिल किया जाता है. यह अलग बात है कि हॉलमार्क आभूषणों के लिए आपको कुछ ज्‍यादा कीमतें चुकानी पड़ सकती हैं.
इसके बावजूद अभी भी दुकानों में ग्राहकों से सोने के आभूषणों पर अलग से मेकिंग चार्ज लिया जाता है. अलग-अलग गहने बनाने के मेहनताने के रूप दुकानदार अलग-अलग मेकिंग चार्ज लेते हैं. खरीदारी से पहले विभिन्‍न दुकानों में कीमतों और मेकिंग चार्ज की जानकारी लेनी आवश्‍यक है. जब भी आप गहने बेचेंगे मेकिंग चार्ज की कीमत का नुकसान उठाना पड़ेगा. इसी प्रकार पुराने गहने बेचते समय भी विभिन्‍न दुकानों में उसके भाव का पता कर लें. इसमें भी कई दुकानदार कम कीमत पर आपके गहने रखकर नये आभूषणों पर आपसे ज्‍यादा पैसे वसूल सकते हैं.

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