नयी दिल्ली : सरकारी बैंकों के कर्मचारी यूनियनों ने वेतन वृद्धि की मांग को लेकर आज हड़ताल कर दी है जिससे इन बैंकों में चेक समाशोधन जैसे सामान्य बैंकिंग कामकाज के प्रभावित होने के आसार हैं. मुख्यत: बैंक कर्मचारियों की दो मांगे हैं पहला अविलंब वेतन समझौता और दूसरा जन विरोधी बैंक सुधार पर रोक लगाना.
यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के संयोजक एम.वी. मुरली ने बताया, इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के साथ बातचीत विफल होने से कर्मचारियों के पास हडताल पर जाने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है.
नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स के महासचिव अश्विनी राणा ने कहा, हमने अपनी मांग :वेतन वृद्धि की: 25 प्रतिशत से घटाकर 23 प्रतिशत कर दी है, लेकिन आईबीए कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है. वह 11 प्रतिशत की अपनी पूर्व की पेशकश पर अडा है जोकि पर्याप्त नहीं है.
देश के सबसे बडे बैंक एसबीआई सहित बैंकों ने अपने ग्राहकों को कल होने वाली असुविधा के बारे में पहले ही सूचित कर दिया है.वहीं एसबीआई ने एक बयान में कहा, यूएफबीयू ने 12 नवंबर को देशव्यापी हडताल के आह्वान की सूचना आईबीए को दे दी है और आल इंडिया स्टेट बैंक आफिसर्स फेडरेशन व आल इंडिया स्टेट बैंक आफ इंडिया स्टाफ फेडरेशन, यूएफबीयू का हिस्सा होने के नाते हडताल में भाग ले रहे हैं.
इस बीच, जयपुर में यूनाईटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के संयोजक महेश मिश्रा ने कहा कि भारतीय बैंक संघ के अडियल रवैये के कारण वेतन समझौते पर सहमति नहीं बनने पर राजस्थान की साढे चार हजार बैंक शाखाओं में कार्यरत करीब तीस हजार से अधिक बैंककर्मी हडताल में शामिल हैं.
इससे पहले रिजर्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन ने कहा था कि प्राइवेट बैंक से मुकाबला करने के लिए सरकारी बैंको के कर्मचारियों के वेतन में संशोधन करने की जरूरत है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.