नयी दिल्ली : सरकार ने श्रम संबंधी समस्याओं, बुनियादी ढांचे की कमी और पूंजी की ऊंची लागत पर ध्यान देने की योजना बनायी है, जिससे सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत से बढाकर 25 प्रतिशत करने के मुश्किल काम को पूरा किया जा सके.
वाणिज्य मंत्रालय की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा मुझे अभी भी लगता है कि वस्तु उत्पाद, हमारी पूंजी की लागत या श्रम कानून या फिर बुनियादी ढांचा, व्यापार सुविधा के लिए आवश्यक सुधार, इन सबमें हमारे विनिर्मित उत्पादों के दाम कम करने के लिये अभी और मदद की जरुरत है. उन्होंने कहा मेक इन इंडिया अभियान के लिए ये विशिष्ट क्षेत्र हैं जिनका समाधान करना होगा और बहुत जल्द करना होगा.
हम ऐसा करने की प्रक्रिया में हैं. उन्होंने वाणिज्य मंत्रालय द्वारा आयोजित समारोह में कहा कि भारत वैश्विक विनिर्माण का बडा केंद्र बनने के लिये प्रयास कर रहा है. जेटली ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में वास्तविक रोजगार सृजन होता है. उन्होंने कहा यही वजह है कि हमारी एक राष्ट्रीय चुनौती है कि विमिर्नाण क्षेत्र की हिस्सेदारी बढाकर 25 प्रतिशत की जाए जो फिलहाल 15 प्रतिशत है. लेकिन यह दुष्कर कार्य है और इसलिए हमारे पास एक सेवा क्षेत्र रह जाता है जिसकी वृद्धि भारत में आसान है.
उन्होंने कहा कि सेवा क्षेत्र ऐसा क्षेत्र है जिसमें वृद्धि की अपार गुंजाइश है और भारत में वृद्धि की संभावना है. जेटली ने कहा मुझे संदेह है कि सेवा क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद के करीब 60 प्रतिशत हिस्से पर काबिज हो जाएगा. यह ऐसा क्षेत्र है जहां सरकार का हस्तक्षेप कम से कम होता है. दूसरा पहलू यह है कि भारत ने वैश्विक स्तर पर अपने आपको सक्षम सेवा प्रदाता के तौर पर साबित कर दिया है.
उन्होंने कहा हम अमेरिकी उपभोक्ताओं को अपने देश की मंहगी सेवा लेने के लिए बाध्य कर रहे हैं जबकि यही सेवा उसी वास्तविक समय के आधार पर बहुत कम कीमत पर बाहर उपलब्ध है. ऐसे नियम बहुत सफल नहीं रहे. उभरते क्षेत्रों के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि भारत फार्मा क्षेत्र में अपनी उल्लेखनीय मौजूदगी बनाने लगा है. जिन अन्य क्षेत्रों में वृद्धि की संभावना है उनमें स्वास्थ्य की देखभाल (हेल्थकेयर), अनुसंधान एवं विकास, पर्यटन और शिक्षा शामिल हैं. उन्होंने कहा मुझे लगता है कि ये ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें आक्रामक होने की जरुरत है.
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