नयी दिल्ली : सहारा समूह ने कहा है कि मनी लांड्रिंग मामले में मामला दायर करना संभवत: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के ‘अधिकार क्षेत्र’ में नहीं है, क्योंकि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अभी तक धन जमा करने वालों का सत्यापन कार्य पूरा नहीं किया है. ईडी ने हाल ही में सहारा समूह के खिलाफ मनी लांड्रिंग का नया मामला दर्ज किया है.
कंपनी ने अपने वकील के माध्यम से ई-मेल के जरिये जारी बयान में कहा, हाल में मीडिया के एक वर्ग में इस तरह की रिपोट आयी है कि सहारा समूह की दो कंपनियों एसआईआरईसीएल तथा एसएचआईसीएल के खिलाफ मनी लांड्रिंग रोधक कानून, 2002 के तहत कार्रवाई शुरु की गई है. यह बयान या रिपोर्ट पूरी तरह गलत व आधारहीन है.
बयान में कहा गया है कि आज की तारीख तक सहारा की इन दो कंपनियों को कथित मनी लांड्रिंग गतिविधियों में शामिल होने को लेकर कोई समन या नोटिस नहीं मिला है. सेबी से कुछ नयी रिपोर्ट मिलने के बाद एजेंसी ने समूह के खिलाफ जमाकर्ताओं का करोडों रुपया नहीं लौटाने के लिए आपराधिक मामला दायर किया है.
बयान में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त, 2012 के अपने आदेश के जरिये सेबी को निवेशकों का सत्यापन करने को कहा था. इसके लिए सेबी को कदम दर कदम विस्तृत दिशानिर्देश दिए गए थे. सेबी को इन दिशानिर्देशों का कडाई से पालन करना है.
सहारा समूह ने बयान में कहा कि सेबी ने अभी तक सत्यापन कार्य नहीं किया है. जब तक नियामक यह सत्यापन पूरा नहीं कर लेता और इस बात का पता नहीं चल जाता कि जुटाये गये धन का स्नेत और सहारा की कंपनियों द्वारा किया गया भुगतान वास्तविक नहीं है या फिर निवेशक ही मौजूद नहीं हैं.
किसी भी व्यक्ति अथवा प्राधिकरण द्वारा मनी लांड्रिंग का मामला दायर नहीं किया जा सकता. निवेशकों के सत्यापन से जुडे इस मामले में तब तक प्रवर्तन निदेशालय अथवा किसी भी अन्य प्राधिकरण को मामले में संभवत: कोई अधिकार नहीं है. सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय मार्च से जेल में हैं.
सेबी और सहारा समूह के बीच लंबे समय से चले आ रहे निवेशकों के 20,000 करोड रुपये के भुगतान विवाद से जुडे मामले में उन्हें जेल जाना पडा. सहारा समूह का हालांकि दावा है कि उसने निवेशकों का 93 प्रतिशत धन का भुगतान कर दिया है. प्रवर्तन निदेशालय अब मामले में यह जांच कर रहा है कि कहीं धन की लांड्रिग अवैध परिसंपत्ति सृजित करने के लिये तो नहीं की गयी.
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