सोने की घटती कीमतों पर बैंक सतर्क, घटाया ”लोन टू वैल्‍यू”

नयी दिल्‍ली : सोने की कीमतों में पिछले छह माह से आ रही भारी गिरावट के मद्देनजर तमाम बैंक सतर्कता बरत रहे हैं. एक समय था जब सभी बैंकों की नजरें सोने पर टिकी थीं, लेकिन आज स्थिति बदली है और बैंक सोने की कीमतों में आ रही गिरावट के कारण ग्राहकों को सोने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2014 11:11 AM

नयी दिल्‍ली : सोने की कीमतों में पिछले छह माह से आ रही भारी गिरावट के मद्देनजर तमाम बैंक सतर्कता बरत रहे हैं. एक समय था जब सभी बैंकों की नजरें सोने पर टिकी थीं, लेकिन आज स्थिति बदली है और बैंक सोने की कीमतों में आ रही गिरावट के कारण ग्राहकों को सोने के बदले ऋण देने से कतराते नजर आ रहे हैं. एक साल पहले जहां सोने की कीमतें 31000 प्रति दस ग्राम के उपर थीं, जो अभी 26,660 रुपये प्रति दस ग्राम पर है.

यहां तक की सोने की कीमतों में हर दिन उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी है. मीडिया में आयी खबरों के अनुसार बैंकों ने अब सोने के बदले दिये जाने वाले ऋण में कटौती करने का फैसला कर लिया है. बैंकों की ओर से दी जाने वाली ‘लोन टू वैल्‍यू’ ( एलटीवी) घटाकर 75 फीसदी से 60 फीसदी किया जा रहा है.

पहले सोने पर लिये जाने वाले ऋण में सोने की कीमत का 75 प्रतिशत ऋण के रूप में ऋणदाता प्रदान करते थे. लेकिन दामों में आ रही गिरावट को देखते हुए ऋणदाताओं ने इसे 60 प्रतिशत करने का फैसला लिया है. साथ ही कई बैंक एलटीवी के तहत लंबी अवधि के ऋणों से परहेज भी कर रहे हैं.

75 फीसदी की जगह अब 60 फीसदी ही ऋण देंगे बैंक

मीडिया में आयी खबर के अनुसार फेडरल बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि उनका बैंक अब एक माह और तीन माह जैसे छोटी अवधि की ऋण योजना शुरू करने वाली है. इससे सोने की कीमतों में आयी गिरावट का खासा असर बैंकों पर नहीं पड़ेगा. कम अवधि वाले ऋणों में ग्राहकों को ज्‍यादा ऋण उपलब्‍ध कराने का प्रयास किया जायेगा.

लेकिन लंबी अवधि वाले ऋणों पर पूरी सतर्कता बररते हुए बैंक एलटीवी के तहत 60 फीसदी से ज्‍यादा ऋण मुहैया नहीं करायेगा. इंडियन बैंक के एक अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि सोने की कीमतों में भारी गिरावट से स्‍वर्ण ऋण पोर्टफोलियो के लिए जोखिम बढ़ गया है.

बैंक स्‍वर्ण ऋण पोर्टफोलियो का दैनिक बाजार कीमतों के आधार मूल्‍यांकन कर रहा है. कीमतों में गिरावट से ऋण के लिए पात्र राशि में कमी आ रही है. अधिकारी ने बताया कि पूर्व के ग्राहकों को भी सोने की कीमतों में आयी गिरावट को देखते हुए और अधिक सोने को गिरवी रखने के लिए कहा गया है.

कम एलटीवी मिलने के कारण ग्राहकों में भी सोने के बदले ऋण लेने की धारणा में कमी आ रही है. ग्राहकों का कहना है कि पहले सोना रखकर जितना ऋण मिलता था, अब उतना ही सोना रखने पर काफी कम राशि ऋण के रूप में मिल पा रही है.

एक रिपार्ट का हवाला देकर खबरे आ रही हैं कि सोने की कीमतों में 2015 तक और अधिक गिरावट आने की संभावना है. नेटिक्सिज कमोडिटीज रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार यह समय डॉलर की मजबूती के लिए अनुकूल है. सोने और डॉलर में मजबूत सह संबंध के तहत अगर 2015 की पहली छमाही में सोना 1,100 डॉलर से भी नीचे आ जाये तो कोई आश्‍चर्य नहीं होना चाहिए. इस समय सोना 1,189 डॉलर प्रति औंस के आसपास है.

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