अदाणी समूह को एसबीआई द्वारा दिये ऋण में सरकार की कोई भूमिका नहीं: भाजपा
नयी दिल्ली : अदाणी समूह को एक अरब डॉलर का ऋण देने के लिए एसबीआई द्वारा एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने पर कांग्रेस की ओर से खडे गए सवालों को खारिज करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज यहां कहा कि सरकारी बैंक अपने वाणिज्यिक फैसले खुद लेता है और उसमें सरकार की […]
नयी दिल्ली : अदाणी समूह को एक अरब डॉलर का ऋण देने के लिए एसबीआई द्वारा एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने पर कांग्रेस की ओर से खडे गए सवालों को खारिज करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज यहां कहा कि सरकारी बैंक अपने वाणिज्यिक फैसले खुद लेता है और उसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं थी.
मंत्री ने यहां संवाददाताओं को बताया कि कांग्रेस ने एसबीआई पर अदाणी ग्रुप को ऋण देने का आरोप लगाया है. ऑस्ट्रेलिया में अदाणी ग्रुप की एक खान है और उन्होंने केवल सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. ऋण नहीं दिया गया है. वित्तीय और वाणिज्यिक व्यवहार्यता को अच्छी तरह परखने के बाद ही एसबीआई ऋण का फैसला करेगा.
उन्होंने कहा, सरकार का उससे कोई लेना देना नहीं है. मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र का यह बैंक अपने बोर्ड को विश्वास में लेने के बाद फैसले करेगा. प्रसाद ने कहा कि एसबीआई ने वर्ष 2010 में जिंदल पावर को भी 1.7 अरब डालर का ऋण दिया था. इससे पहले दिन में एसबीआई की अध्यक्ष अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा, हम स्पष्ट करते हैं कि यह सहमति पत्र है. यह कोई ऋण स्वीकृति नहीं है कि हमने दे दिया.
उन्होंने कहा कि समुचित मानकों को पूरा करने के बाद और कई पहलुओं पर विचार करने के बाद ही ऋण दिया जाएगा. स्टेट बैंक ने अदाणी ग्रुप को एक अरब डालर का कर्ज देने के लिये शुरुआती समझौता किया है. कांग्रेस का कहना है कि यह कर्ज ऐसे समय में मंजूर किया गया जब कंपनी के मालिक अदाणी प्रधानमंत्री के कारोबारी प्रतिनिधि मंडल में शामिल थे.
स्टेट बैंक ने कहा, जांच परख के बाद ही देंगे पैसा
अदाणी समूह को एक अरब डालर के कर्ज की मंजूरी को लेकर उठे विवाद के बीच भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा कि इस संबंध में केवल शुरुआती सहमति पत्र पर दस्तखत किये गये हैं और समुचित जांच पडताल के बाद ही धन जारी किया जायेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान स्टेट बैंक ने अदाणी समूह की वहां स्थित कोयला परियोजना के लिये एक अरब डालर केऋणसमझौते पर हस्ताक्षर किये. स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने यहां कहा, हम यह स्पष्ट करते हैं कि यह आपसी सहमति का समझौता है. यह कर्ज की मंजूरी नहीं है जो कि हमने जारी कर दिया.
ऋण तथा व्यवहार्यता दोनों की जांच पडताल के बाद ही कर्ज दिया जाएगा. उन्होंने कहा, इस बारे में निदेशक मंडल निर्णय करेगा और उसके बाद ही ऋण दिया जाएगा. पर्यावरण सहित विभिन्न मुद्दों को देखा जायेगा, कोयला के दाम पर भी गौर किया जायेगा.
यह पूछे जाने पर कि अगर निदेशक मंडल ऋण को मंजूरी दे देता है तो कंपनी पर एसबीआई का कुल कितना कर्ज होगा, अरुंधती ने कहा कि शुद्ध रुप से 20 करोड डालर देना होगा क्योंकि कंपनी को कुछ वापसी भी करनी है. इस बीच, कांग्रेस ने अदाणी समूह को कारमाइकल कोयला खान के लिये एक अरब डालर का कर्ज दिये जाने के लिये किये गये समझौते पर चिंता जतायी है.
पार्टी के महासचिव अजय माकन ने कहा, एसबीआई द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान उनके साथ-साथ रहे अदाणी को ऐसे समय ऋण दिये जाने का क्या औचित्य है जब पांच विदेशी बैंकों ने परियोजना के लिये समूह को कर्ज देने से इनकार कर दिया था.
इन आरोपों को खारिज करते हुए अदाणी समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, कुछ अंतरराष्ट्रीय बैंक हैं जिन्होंने आस्ट्रेलिया में हमारी खानों के लिये धन दिया है. मुझे नहीं लगता कि हमारे लिये इस समय यह बताना सही है कि कौन से बैंक परियोजना पर विचार कर रहे हैं और मंजूरी के विभिन्न स्तरों पर हैं.
उसने कहा कि जब परियोजना के लिये वित्त की व्यवस्था की बात आएगी तो एसबीआई अकेला बैंक नहीं होगा और आप देखेंगे कि कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बैंक भी इसमें शामिल हैं. यह कोयला खान आस्ट्रेलिया में क्वींसलैंड में है और इसके लिये रेलवे सहित जरुरी बुनियादी ढांचे के लिये 7.6 अरब डालर का खर्च आएगा.
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