नयी दिल्ली : सरकार धनी लोगों को रसोई गैस सिलेंडर (एलपीजी) पर दी जा रही सरकारी सहायता (सब्सिडी) बंद करने पर विचार कर रही है. वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज यह बात कही. जेटली ने यहां एचटी लीडरशिप समिट को संबोधित करते हुए कहा, भारत को अगला जो महत्वपूर्ण निर्णय लेना है कि क्या मेरे जैसे लोगों को एलपीजी सब्सिडी मिलनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि जितनी जल्दी हम इस बारे में फैसला करेंगे कि किसे सब्सिडी मिलनी चाहिए, वह हमारी प्रणाली के लिए उतना ही बेहतर होगा. फिलहाल उपभोक्ताओं को सालाना 12 सिलेंडर सब्सिडी वाली 414 रुपये प्रति सिलेंडर (दिल्ली में) की दर से मिलते हैं. इससे ज्यादा सिलेंडर की जरुरत होने पर उपभोक्ता को प्रति सिलेंडर 880 रुपये खर्च करने पडते हैं.
जेटली ने कहा, एक बार राजनीतिक नेतृत्व विशेषरुप से शीर्ष पर बैठा व्यक्ति निर्णय लेने की क्षमता रखता हो, तो जटिल फैसले भी आसान हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि किसी को कोयला ब्लाक पर फैसला करने या फिर स्पेक्ट्रम अथवा प्राकृतिक संसाधनों या डीजल और गैस मूल्य पर फैसला करने के लिए बरसों का इंतजार नहीं करना होता.
वित्त मंत्री ने कहा कि इन फैसलों को पिछले कुछ वर्षों के दौरान जटिल किया गया, लेकिन नयी सरकार ने समय खराब न करते हुए उन पर निर्णय किया. मुझे लगता है कि हम इस एजेंडा पर आगे बढते रहेंगे. जेटली ने कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण चरण में हैं. जहां हमें अपने धैर्य को नहीं खोना चाहिए.
वैश्विक निवेशक भारत की ओर नयी रुचि के साथ देख रहे हैं. सत्ता में आने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने डीजल कीमतों को नियंत्रणमुक्त किया है. जेटली ने कहा कि वह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर प्रस्ताव के साथ लगभग तैयार हैं और उन्हें भरोसा है कि संसद के सोमवार से शुरु हो रहे शीतकालीन सत्र में इस पर संविधान संशोधन विधेयक पेश कर दिया जाएगा.
लंबे समय से अटके बीमा विधेयक के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि हम इस क्षेत्र को कुछ अधिक खोलने के करीब हैं. इस विधेयक में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा के 26 प्रतिशत से बढाकर 49 फीसद करने का प्रस्ताव है.
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