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बड़े डिफॉल्‍टरों को ”उद्योगजगत की हस्‍ती” से महिमा मंडित ना करें : राजन

आणंद-गुजरात : भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कुछ बडे कर्जदारों पर ‘जोखिमरहित पूंजीवाद’ का आनंद उठाने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि बैंकों की वित्तीय स्थिति खराब करने के लिए इस तरह की कंपनियां जिम्मेदार हैं. राजन ने कहा कि इस प्रकार के बड़े डिफाल्‍टर मुफ्त की सवारी करने वाले हैं. […]

आणंद-गुजरात : भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कुछ बडे कर्जदारों पर ‘जोखिमरहित पूंजीवाद’ का आनंद उठाने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि बैंकों की वित्तीय स्थिति खराब करने के लिए इस तरह की कंपनियां जिम्मेदार हैं. राजन ने कहा कि इस प्रकार के बड़े डिफाल्‍टर मुफ्त की सवारी करने वाले हैं. इससे बैंकों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है और देश की अर्थव्‍यवस्‍था भी प्रभावित होती है.

वे यहां ग्रामीण प्रबंधन संस्थान-आणंद में तीसरा वर्गीज कुरियन व्याख्यान दे रहे थे. उन्होंने कहा कि कुछ बडे कर्जदारों को पैसा देने के कारण सरकारी बैंकों को होने वाले नुकसान की कीमत अंतत: करदाताओं व ईमानदार कर्जदारों को चुकानी पडती है. गवर्नर ने कहा जिस बडे कर्जदार को दिया गया कर्ज फंस जाता है उसे ‘उद्योगजगत की हस्ती’ से महिमामंडित नहीं किया जाना चाहिए बल्कि इस देश के मेहनतकशों के सर पर ‘मुफ्त की सवारी करने वाले’ के रुप में निंदित किया जाना चाहिए.

रघुराम राजन का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि अनेक सार्वजनिक बैंक बढती गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) से जूझ रहे हैं. इनमें से ज्यादातर कर्ज कुछ बडी कंपनियों को दिया गया है और वसूली प्रक्रिया महीनों से लंबित है. राजन ने कहा कि वे जोखिम लेने के खिलाफ नहीं है लेकिन वित्तीय दबाव के समय प्रवर्तक कंपनी को बंद करने की धमकी देते हैं और सरकार, बैंक और नियामकों से रियायतों की मांग करते हैं ताकि उसे जारी रखा जा सके.

उन्होंने कहा, हमें यह सवाल करना होगा कि क्या हमारी ऋण प्रणाली मजबूत है. दुर्भाग्य से इसका जवाब है-नहीं. ऋण अनुबंध की शुचिता को हाल के सालों में लगातार चोट पहुंची है और यह चोट छोटे कर्जदारों ने नहीं बल्कि बडे कर्जदारों ने पहुंचायी है. उल्लेखनीय है कि राजन ने इस मुद्दे पर एक किताब ‘सेविंग कैप्टिलिज्म फ्रॉम द कैप्टिलिस्ट्स’ भी लिखी थी.

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