देश में कुशल मानव संसाधन की मांग के अनुरूप पूर्ति नहीं: मनमोहन

कोच्चि: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता असंतोषजनक है. उन्हांने कहा कि कुशल मानव संसाधन भारत की ताकत है पर इसकी मांग और पूर्ति में फर्क है. उन्होंने फादर कुरियाकोज इलियास चवारा की स्मृति में आयोजित सामाजिक बदलाव में उत्कृष्टता व्याख्यान माला का उद्घाटन करते हुए कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2014 5:27 PM

कोच्चि: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता असंतोषजनक है. उन्हांने कहा कि कुशल मानव संसाधन भारत की ताकत है पर इसकी मांग और पूर्ति में फर्क है.

उन्होंने फादर कुरियाकोज इलियास चवारा की स्मृति में आयोजित सामाजिक बदलाव में उत्कृष्टता व्याख्यान माला का उद्घाटन करते हुए कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था का एक तकलीफदेह पहलू यह है कि कुशल मानव संसाधन की मांग और आपूर्ति के बीच फर्क है. चवारा को हाल ही में केरल की ही सिस्टर यूफ्रेसिया एलुविन्थिंकल के साथ वेटिकन ने संत घोषित किया गया है.
पूर्व प्रधानमंत्री ने तेवरा के पास सेक्रेड हार्ट्स कालेज में छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में सालाना 4,00,000 प्रौद्योगिकी स्नातक सामान्य कालेजों से निकलने वाले 25 लाख स्नातकों में से एक बडे हिस्से को रोजगार नहीं मिल पाता. उन्होंने कहा कि विडंबना यह है कि ऐसा नौकरी के अवसरों की कमी के कारण नहीं है.
साफ्टवेयर सेवा कंपनियों के संगठन नासकाम के अनुसार यह स्थिति इन स्नातकों के पास नौकरियों के लिए जरुरी कौशल की कमी के कारण है. सिंह ने कहा कि देश की 62 प्रतिशत आबादी काम करने के उम्र की है और अगले तीन दशक में शैक्षणिक अवसरों की मांग बढेगी.
इसके साथ-साथ तेजी से वृद्धि दर्ज करते सेवा क्षेत्र के लिए बेहद योग्य मानव संसाधान की जरुरत होगी. उन्होंने कहा कि उच्चतर शिक्षा की गुणवत्ता की जरुरत के बारे में कुछ कहने की जरुरत नहीं है क्योंकि यह अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है और इसके लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है
पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि भारत ज्ञान आधिरित क्षेत्रों में तेजी से कई शीर्ष देशों की बराबरी करने की ओर तेजी से बढ रहा है. बडी-बडी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में न सिर्फ अपने बीपीओ (बैक आफिस केंद्र) बल्कि अपने अनुसंधान एवं विकास केंद्र भी खोल रही है. यह रुझान न सिर्फ साफ्टवेयर विकास बल्कि वित्त, चिकित्सा और जैव-प्रौद्योगिकी में भी दिख रहा है.
भारत ज्ञान मुहैया कराने वाली महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है इसलिए अनिवार्य पात्रता वाले कुशल मानव संसाधन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराने और वैश्विक स्तर का बुनियादी ढांचा बनाने की जरुरत होगी.
सिंह ने कहा कि महत्वपूर्ण यह है कि हम इस लाभ उठाने की स्थिति को हाथ से जाने न दें. सिंह ने कहा कि बेंगलुरु, सिलिकॉन वैली के प्रतिस्पर्धी के तौर पर खडा हुआ था लेकिन देश में ऐसे और स्थान विकसित करने की जरुरत है जो ज्यादा जगहों पर फैले हों और सस्ते हों.
उन्होंने कहा कि कुशल मानव शक्ति के विकास के संबंध में विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों के बीच बहुत अंतर है. कम विकसित क्षेत्रों में उच्च शिक्षा के विस्तार के साथ आबादी के हर हिस्से तक उच्च शिक्षा के अवसर पहुंचने चाहिए. उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार में नीतियों में समावेश का अर्थ यही था.
समारोह को संबोधित करने वालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के.वी. थामस भी थे. वह इस स्कूल में पढे हैं.

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