मुंबई : केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज आर्थिक मोर्चे पर सरकार के सुधारवादी कदमों को लेकर कायम संशय को साफ कर दिया. उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही सुधारों की प्रक्रिया को तेज करेगी और इसे आगे बढ़ायेगी. वित्तमंत्री ने कांग्रेस पर अड़चन डालने वाला रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि सरकार देश की आर्थिक विकास की दर को आठ फीसदी पर लाने के लिए सुधार संबंधी कदमों के साथ आगे बढ़ने को प्रतिबद्ध है.
संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को पेश करने, भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव, गैर कोयला खनिजों की नीलामी, सब्सिडी के दायरे से गैर जरूरी क्षेत्रों को हटाने जैसी सरकार की प्राथमिकताओं का उल्लेख करते हुए जेटली ने कहा कि प्रमुख आर्थिक जिम्मेदारियां उन लोगों के पास है, जिन पर अतीत का कोई बोझ नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘‘अब इन सभी बदलावों ने माहौल, मूड बदल दिया है. भारत रडार पर वापस आ चुका है. मैं इस तथ्य को लेकर पूरी तरह सजग हूं कि कुछ लोग राष्ट्रीय स्तर पर मूड को विपरीत ले जाकर रुकावट का प्रयास करेंगे. ये अवरोध बहुत लंबे समय तक कायम नहीं रह पाएंगे.’’ वह इटी अवार्डस समारोह को संबोधित कर रहे थे. जेटली ने कहा, हम एजेंडे पर अमल करने में सफल रहेंगे. उन्होंने कहा कि मुङो लगता है कि व्यवस्थाओं को बदलने के साथ और दूसरे संस्थानों को इस हकीकत का आभास करना होगा कि भारत में कई क्षेत्रों में इन कदमों के जरिए मदद की जा सकती है.’’
जेटली ने कहा कि चार अलग-अलग समूह रपट का अध्ययन कर रहे हैं. इनके कार्यान्वयन में विधायी और प्रशासनिक बदलाव करने की जरुरत होगी. एफएसएलआरसी ने गत मार्च में सरकार को अपनी रपट सौंपी थी. साथ ही आयोग ने भारतीय वित्तीय संहिता (आईएफसी) लागू करने के बारे में एक विधेयक का मसौदा भी सुझाया है. आरबीआई समेत विभिन्न संबद्ध पक्ष आईएफसी के मसौदे के कुछ प्रस्तावों के विरोध में हैं.
जेटली ने कहा, ‘कुछ विधायी बदलाव करने की भी जरुरत होगी. मेरा मानना है कि इन प्रशासनिक और विधायी बदलावों से पेशेवर नियामकीय प्रणाली मजबूत होगी.’ उन्होंने कहा कि भारत अब सरकार द्वारा नियंत्रित प्रणाली से निकल कर एक ऐसी व्यवस्था की ओर बढ चुका है जहां बाजार पर भरोसा किया जाता है और विभिन्न क्षेत्र से जुडे मुद्दों के विनियमन के लिए उस क्षेत्र के लिए पेशेवर विनियामक काम कर रहे हैं.
जेटली ने कहा, हमें न सिर्फ भारत की बेहतरीन प्रक्रियाओं से बल्कि वैश्विक तौर-तरीकों से भी सीखने की जरुरत है. आयोग की रपट इस दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कदम हैं. मौजूदा हालात में बहुत से बदलाव करने की जरुरत है. एफएसएलआरसी की सिफारिशें दो हिस्सों – विधायी और गैर-विधायी में बंटी है.
आयोग ने वित्तीय क्षेत्र के सात एजेंसियों वाले वित्तीय क्षेत्र की सिफारिश की है जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), एकीकृत वित्तीय एजेंसी (यूएफए), वित्तीय क्षेत्र अपीलीय टिब्यूनल (एफसैट), निपटान निगम (आरसी), वित्तीय निपटान एजेंसी (एफआरए), वित्तीय स्थिति और विकास परिषद (एफएसडीसी) और सार्वजनिक ऋण प्रबंधन एजेंसी (पीडीएमए) की व्यवस्था का सुझाव है.