मुंबई : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को पेश की गयी बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा में सरकार तथा उद्योगों के भारी दबाव के बावजूद इनमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया. समीक्षा में राजन ने ब्याज दरों में किसी तरह की कटौती का ऐलान नहीं किया. राजन ने रेपो रेट को मौजूदा स्तर 8 फीसदी पर ही रखा है. रिवर्स रेपो रेट को 7 फीसदी तथा कैश रिजर्व रेशिओ (सीआरआर) को 4 फीसदी पर ही रखा है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया मुद्रास्फीति नियंत्रण के नाम पर ब्याज दरों में कटौती से बचता रहा है. उसका कहना था कि अगर ब्याज दरें घटाई जाएंगी तो अर्थव्यवस्था में धन का प्रवाह बढ़ेगा और फिर महंगाई भी बढ़ेगी. इस कारण से लोगों को महंगी दरों पर लोन लेना पड़ेगा जिसका नतीजा बैंकों को भी भुगतना पड़ेगा. बड़े पैमाने पर लेनदार लोन चुकाने में भी कोताही करने लगेंगे और बैंकों पर बढ़ते एनपीए का खतरा मंडराने लगेगा.
रिजर्व बैंक के इस संबंध में कड़े रुख के कारण बाजार में कटौती की कोई उम्मीद नहीं थी और मंगलवार की सुबह शेयर बाजार गिर गए.
अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए सरकार चाहती है कि ब्याज दरें कम हों ताकि पूंजी लागत घटे. पिछली सरकार और वर्तमान सरकार ने भी इसके लिए दबाव बनाया. सरकार का तर्क था कि महंगाई घट गई है लिहाजा ब्याज दरें भी घटें. लेकिन ज्यादातर उद्योगपतियों का मानना था कि बैंक ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा. उनका मानना था कि बैंक अगले साल की समीक्षा में यह कदम उठाएगा.
जानकारों का कहना है कि मार्च 2015 में बैंक ब्याज दरों में कटौती करेगा जब उसे इस बात का विश्वास हो जाएगा कि महंगाई वाकई घट गई है.