रिजर्व बैंक ने नहीं घटाई दरें तो उद्योग और सरकार हुए निराश
मुंबई: कर्ज सस्ता करने की उद्योग जगत और सरकार की मांग को नजरंदाज करते हुये रिजर्व बैंक ने लगातार पांचवीं मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया, हालांकि, उसने फरवरी की समीक्षा में रुख में नीतिगत ब्याज दर में कटौती की संभावना जगायी है. रिजर्व बैंक के नीतिगत रुख पर प्रतिक्रिया […]
मुंबई: कर्ज सस्ता करने की उद्योग जगत और सरकार की मांग को नजरंदाज करते हुये रिजर्व बैंक ने लगातार पांचवीं मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया, हालांकि, उसने फरवरी की समीक्षा में रुख में नीतिगत ब्याज दर में कटौती की संभावना जगायी है.
रिजर्व बैंक के नीतिगत रुख पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वित्त मंत्रालय ने उम्मीद जाहिर की, कि केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि और रोजगार के अवसरों सुधार के लिए मदद करेगा.
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा में आज केंद्रीय की नीतिगत दर (रेपो रेट) को आठ प्रतिशत पर स्थिर रखते हुये कहा, ‘ मौद्रिक नीति के दृष्टिकोण में अभी बदलाव करना जल्दबाजी होगी.’ केंद्रीय बैंक के इस रुख से मकान और वाहन पर कर्ज सस्ता होने की उम्मीद लगाये बैठे लोगों को निराशा हुई है.
रिजर्व बैंक ने हालांकि, इस बात का संकेत दिया है कि यदि मुद्रास्फीति में गिरावट जारी रही और राजकोषीय मोर्चे पर स्थिति उत्साहजनक रही तो अगले साल शुरु में नीतिगत दर में कमी लाई जा सकती है.
उद्योग जगत ने नीतिगत दरें यथावत रखने के रिजर्व बैंक के रुख पर नाराजगी जताते हुये कहा कि रिजर्व बैंक को सुस्त अर्थव्यवस्था में स्फूर्ति लाने के लिये अधिक तालमेल और सामंजस्य बिठाना चाहिये था.
मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा के बाद ज्यादातर बैंकों ने कहा है कि फिलहाल कर्ज और जमा पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा. राजन ने उद्योग जगत की नाराजगी पर कहा कि उद्योगों को अदूरदर्शी नहीं होना चाहिये. उन्होंने जोर देते हुये कहा कि केंद्रीय बैंक ‘जितनी हासिल हो सकती है, उतनी उच्च आर्थिक वृद्धि’ के पक्ष में है. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि उद्योग जगत में इस बात को लेकर गलत धारणा है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि को लेकर संवेदनशील नहीं है.’
वित्त मंत्रालय ने आज जारी बयान में कहा कि यह उत्साहवर्धक है कि केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति परिदृश्य में बुनियादी बदलाव पर ध्यान दिया है. बयान में कहा गया है कि अब सरकार उम्मीद करती है रिजर्व बैंक वृद्धि व रोजगार बढोतरी में आगे सहयोग करेगा. मौद्रिक नीति की प्रस्तावित नई व्यवस्था के बारे में कहा गया है कि आगामी सप्ताहों में सरकार व रिजर्व बैंक इस पर काम करेंगे.
राजन ने कहा कि रिजर्व बैंक आर्थिक वृद्धि के खिलाफ नहीं है बल्कि वह तो जितनी संभव हो सके उतनी मजबूत वृद्धि चाहता है लेकिन इसके साथ ही मुद्रास्फीति पर भी नजर रखनी होगी.
राजन ने यह भी कहा कि यह आरोप अदूरदर्शी सोच का परिचायक है कि रिजर्व बैंक इस तिमाही आर्थिक वृद्धि में मदद नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि दीर्घ काल तक मजबूत आर्थिक वृद्धि के लिए मुद्रास्फीति का नीचे होना जरुरी है.
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 5.3 प्रतिशत रही जबकि पहली तिमाही में यह 5.7 प्रतिशत रही थी. रिजर्व बैंक के दरों में कटौती नहीं करने के अपने रुख पर कायम रहने से बंबई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक आज 115.61 अंक यानी 0.40 प्रतिशत गिरकर 28,444 अंक पर आ गया. रिजर्व बैंक के गवर्नर को उम्मीद है कि आगे खुदरा मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति और नरम होगी तथा औसतन छह प्रतिशत के आस पास रहेगी.
रिजर्व बैंक ने कहा है कि यह कम होकर औसतन 6 प्रतिशत रहेगी. रिजर्व बैंक ने कहा है कि अगले 12 माह तक मुद्रास्फीति अपना कुछ आवेग जारी रख सकती है और मुद्रास्फीति में नरमी के रुझानों के बीच मौसमी उतार-चढाव को छोडकर इसके 6 प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान है. भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुंधती भट्टाचार्य ने कहा रिजर्व बैंक के दरों को अपरिवर्तित रखने के बाद ब्याज दरें भी यथावत रहने की उम्मीद है.
आइसीआइसीआइ बैंक की प्रमुख चंदा कोचर ने कहा कि रिजर्व बैंक का यह कहना कि यदि वर्तमान सकारात्मक रुझान जारी रहता है तो अगले साल की शुरुआत में मौद्रिक नीति उपायों में बदलाव हो सकता है, यह स्वागत योग्य बात है.
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