NBFC के सौदों की जांच के लिए CEBI ने मिलाया RBI से हाथ

नयी दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) के शेयरों में पैसा झोंकने या झटका देने की जांच के लिए बैंकिंग नियामक रिजर्व बैंक से हाथ मिलाया है. इसके तहत ऋण का करोबार करने वाली ऐसी कंपनियों को अपने पास गिरवी रखने शेयरों का ब्योरा अनिवार्य रुप से देना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 7, 2014 4:04 PM

नयी दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) के शेयरों में पैसा झोंकने या झटका देने की जांच के लिए बैंकिंग नियामक रिजर्व बैंक से हाथ मिलाया है. इसके तहत ऋण का करोबार करने वाली ऐसी कंपनियों को अपने पास गिरवी रखने शेयरों का ब्योरा अनिवार्य रुप से देना होगा.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सभी प्रमुख एनबीएफसी को शेयर बाजारों के प्लेटफार्म पर यह खुलासा करना होगा, फिर चाहे वे सूचीबद्ध हों या न हों.सेबी एक ऐसी व्यवस्था को सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है जिसमें 100 करोड़ रुपये या उसके अधिक की संपत्ति के आकार वाली कंपनियों के लिए उनके पास गिरवी रखे शेयरों का खुलासा अनिवार्य होगा.
सेबी ने यह कदम इस बारे में रिजर्व बैंक द्वारा लिए गए फैसले के बाद उठाया है. केंद्रीय बैंक ने भी एनबीएफसी के लिए उनके पास गिरवी रखे शेयरों पर ऋण की सीमा पर अंकुश लगाया है.
एनबीएफसी शेयर ब्रोकरों, सूचीबद्ध कंपनियों के प्रवर्तकों और शेयर बाजार आपरेटरों को बाजार में शेयरों के कारोबार में मदद के लिए मार्जिन फंडिंग (शेयर गिरवरी रख कर दिया जाने वाले कर्ज) के रूप में कोष उपलब्ध कराती हैं. उन्हें कमीशन या लाभ भागीदारी के रुप में लाभ मिलता है.
ऐसे माममे देखने में आए हैं जहां किसी एनबीएफसी ने शेयर मूल्य के 70-80 प्रतिशत तक कर्ज दे रखा था. ऐसे ज्यादातर मामलों में नियमों का पालन नहीं किया गया.यह अनौपचारिक व्यवहार दशकों से चल रहा है जिसमें ऋण देने के सतर्कता नियमों का पालन नहीं किया जाता. 2011-13 के दौर में छोटी और मिड कैप कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट का दौर आया था उसके पीछे के एक बडा करण था कि कर्जदारों से समय पर पैसा नहीं मिलने पर कर्जदाता एनबीएफसी ने गिरवी रखे गए शेयरों को बाजार में पाटना शुरू कर दिया था.

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