सेबी ने सरकार के प्रस्ताव पर सहमति जतायी
नयी दिल्ली: सरकार ने आज कहा कि बाजार नियामक सेबी ने तमिलनाडु सरकार के नेवेली लिग्नाइट (एनएलसी) में केंद्र की 5 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है. इसके लिये यह शर्त है कि अधिग्रहण पात्र राज्य इकाइयों द्वारा किया जाए. आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘सेबी का मानना है कि इस […]
नयी दिल्ली: सरकार ने आज कहा कि बाजार नियामक सेबी ने तमिलनाडु सरकार के नेवेली लिग्नाइट (एनएलसी) में केंद्र की 5 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है.
इसके लिये यह शर्त है कि अधिग्रहण पात्र राज्य इकाइयों द्वारा किया जाए. आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘सेबी का मानना है कि इस प्रस्ताव को संस्थागत नियोजन कार्यक्रम (आईपीपी) के दिशानिर्देश के तहत लिया सकता है. पर इसकी ठीक ठीक व्यवस्था तय करने के लिए तमिलनाडु सरकार, कोयला तथा विनिवेश विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की जरुरत है.’’ केंद्र सरकार के विनिवेश विभाग ने तमिलनाडु सरकार के प्रस्ताव पर सेबी से राय मांगी थी.
सेबी ने पिछले सप्ताह विनिवेश विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य सरकार की सार्वजनिक कंपनियों को 5 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री संस्थागत नियोजन कार्यक्रम (आईपीपी) के जरिये की जानी चाहिए. साथ ही हिस्सेदारी अधिग्रहण करने वाली कंपनी सेबी में पात्र संस्थागत खरीदार (क्यूआईबी) के तौर पर पंजीकृत होनी चाहिए. उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने पिछले महीने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा था कि राज्य नेवेली लिग्नाइट में केंद्र की 5 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदना चाहेगा. इस पत्र को टिप्पणी के लिए सेबी के पास वित्त मंत्रालय ने तमिलनाडु सरकार से अनुरोध किया है कि वह अपने प्रस्ताव के संदर्भ में सेबी से आगे की बातचीत के लिये वरिष्ठ अधिकारी नामित करे. सूत्रों के मुताबिक सेबी ने तमिलनाडु सरकार से इस बारे में ठोस प्रस्ताव और राज्य की सार्वजनिक इकाइयों की सूची भेजने को कहा है जो नेवेली में हिस्सेदारी खरीद सकती हैं.
केंद्र की फिलहाल नेवेली लिग्नाइट में 93.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है. न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी नियम को पूरा करने के लिये केंद्र ने इसकी हिस्सेदारी की बिक्री का प्रस्ताव किया गया है. सेबी ने सभी सूचीबद्ध सार्वजनिक उपक्रमों के लिये 10 प्रतिशत न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी की शर्त तय की है और इसके लिये समय-सीमा 8 अगस्त 2013 तय की गयी है. पिछले महीने मंत्रिमंडल ने कंपनी में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी 7.8 करोड़ शेयर बेचने को मंजूरी दे दी. तमिलनाडु सरकार तथा कंपनी के कर्मचारी इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं.
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