नयी दिल्ली: देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि इस वित्त वर्ष में बढकर 5.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है जबकि पिछले वर्ष यह 4.7 प्रतिशत रही थी. संसद में आज पेश छमाही आर्थिक समीक्षा में यह अनुमान व्यक्त किया गया है.
वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत इस रपट में कहा गया है कि वृहद आर्थिक परिवेश में सुधार से वृद्धि में सुधार की उम्मीद बंधी है. रपट में राजस्व वसूली कमजोर रहने के प्रति आगाह किया गया है.
समीक्षा में कहा गया है कि आने वाले वर्षों में सात-आठ प्रतिशत की उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल कर ली जायेगी. मुद्रास्फीति में नाटकीय गिरावट का उल्लेख करते हुये कहा गया है कि कच्चे तेल के दाम में गिरावट आने से इस वर्ष चालू खाते का घाटा जीडीपी के दो प्रतिशत के आसपास सीमित रखने में मदद मिलेगी.
समीक्षा में अनुमान है कि रिजर्व बैंक मार्च 2015 तक ब्याज दरों में यथास्थिति बनाये रखेगा. अनुमान है कि रुपये की विनिमय दर का परिदृश्य भी स्थिर होगा.
उल्लेखनीय है कि उद्योग जगत धीमी पडती औद्योगिक गतिविधियों को देखते हुये ब्याज दरों में कटौती की लगातार मांग करता आ रहा है.