सत्यम मामला : 23 दिसंबर को आ सकता है फैसला
हैदराबाद : गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) के मामलों में सत्यम के संस्थापक बी रामलिंग राजू को दोषी ठहराए जाने के कुछ दिन बाद अब एक विशेष अदालत मंगलवार यानी 23 दिसंबर को पूर्ववर्ती सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के करोडों रुपये के घोटाले में फैसला सुना सकती है. इस मामले में लगभग छह साल तक सुनवाई […]
हैदराबाद : गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) के मामलों में सत्यम के संस्थापक बी रामलिंग राजू को दोषी ठहराए जाने के कुछ दिन बाद अब एक विशेष अदालत मंगलवार यानी 23 दिसंबर को पूर्ववर्ती सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के करोडों रुपये के घोटाले में फैसला सुना सकती है. इस मामले में लगभग छह साल तक सुनवाई चली.
एसएफआईओ द्वारा दायर शिकायतों में गत आठ दिसंबर को आर्थिक अपराधों के लिए विशेष अदालत ने सत्यम के पूर्व चेयरमैन राजू के साथ उनके भाई और सत्यम के पूर्व प्रबंध निदेशक बी रामा राजू, कंपनी के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी वाडलामणि श्रीनिवास तथा पूर्व निदेशक राम मैनामपति को छह महीने की जेल तथा जुर्माने की सजा सुनाई है.
आरोपियों को अपील दायर करने का समय देने के लिए उसके बाद अदालत स्थगित कर दी गई. कारपोरेट मामलों की जांच इकाई एसएफआईओ ने दिसंबर, 2009 में आर्थिक अपराधों की विशेष अदालत में सत्यम कंप्यूटर तथा उसके निदेशकों के खिलाफ कंपनी कानून के उल्लंघन की सात शिकायतें दायर की थीं. 30 अक्तूबर को विशेष जज बी वी एल एन चक्रवर्ती ने इस मामले में निर्णय सुनाने की तारीख 23 दिसंबर तय की.
सीबीआई के विशेष वकील के. सुरेंद्र ने कहा कि इस मामले पर निर्णय सुनाने के लिए 23 दिसंबर की तारीख तय की गई है. इस बात की पूरी संभावना है कि इस मामले पर फैसला उसी दिन सुनाया जाएगा. या हो फिर हो सकता है कि इसमें कुछ दिन और लग जाएं.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा दायर शिकायतों के मामले में राजू और अन्य आरोपियों को सोमवार को स्थानीय अदालत के समक्ष उपस्थित होना है.
राजू और रामा राजू के अलावा इस मामले में अन्य आरोपी हैं वाडलामणि श्रीनिवास, प्राइसवाटरहाउसकूपर्स के पूर्व आडिटर सुब्रमणि गोपालकृष्णन और टी श्रीनिवास, राजू के एक और भाई बी सूर्यनारायण राजू, पूर्व कर्मचारी जी रामकृष्ण, डी वेंकटपति राजू, सीएच श्रीसेलम तथा सत्यम के पूर्व आंतरिक मुख्य आडिटर वी एस प्रभाकर गुप्ता.
सत्यम घोटाले को देश का सबसे बडा अकाउंटिंग घोटाला कहा जाता है. यह घोटाला सात जनवरी, 2009 को सामने आया था. रामलिंग राजू ने कई साल तक कंपनी के बही खातों में गडबडी तथा मुनाफे को बढाचढाकर दिखाने की बात स्वीकार की थी.
राजू को यह घोटाला सामने आने के दो दिन बाद आंध्र प्रदेश पुलिस के अपराध जांच विभाग ने उनके भाई रामा राजू व अन्य के साथ गिरफ्तार किया था.
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