नयी दिल्ली: नया साल दस्तक देने वाला है इस नये साल के साथ सेवानिवृत्ति कोष संगठन इपीएफओ अपने पांच करोड़ से अधिक अंशधारकों की भविष्य निधि जमा के प्रबंधन तौर तरीकों में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है.
यह पहली बार नहीं है जब इसमें बदलाव किया जा रहा है. इस संगठन ने वर्ष के दौरान भी इस दिशा में कई कदम उठाये हैं और अपने काम काज के तरीके को बेहतर करने की कोशिश की है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी इपीएफओ ने 2014 के दौरान सेवा गुणवत्ता में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं. साथ ही 2015 में दौरान कई पहलों पर आगे कदम बढाने की योजना बनायी है.
भविष्य निधि को कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति लाभ और सामाजिक सुरक्षा उपाय के तौर पर देखा जाता है. कर्मचारियों को उनकी जीवनभर की इस जमापूंजी पर अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिये इपीएफओ नये निवेश विकल्पों के बारे में वर्ष के दौरान काफी विचार करता रहा. नये साल में इस दिशा में कुछ ठोस पहल हो सकती है.
इपीएफओ से भविष्य निधि पर प्रतिफल बढ़ाने के लिये उसका कुछ हिस्सा शेयरों में निवेश के लिये दबाव डाला जा रहा है. ऐसा प्रस्ताव अगस्त और दिसंबर में न्यासियों की बैठक में टाल दिया गया. न्यासी शेयर और एक्सचेंज ट्रेडेट फंड (इटीएफ) में निवेश के प्रस्ताव के पक्ष में नहीं हैं. इसके बजाय न्यासियों ने निवेश प्रक्रिया को और लचीला बनाने का सुझाव दिया ताकि सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश का प्रतिशत बढ़ाया जा सके
इपीएफओ की बहु-प्रतीक्षित पोर्टेबल पीएफ खाता संख्या या सामान्य खाता संख्या (यूएएन) नये साल में शुरु होने की उम्मीद है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 अक्तूबर को इसकी शुरूआत की थी. उम्मीद है कि इससे इपीएफओ के पांच करोड़ से अधिक अंशधारकों की पीएफ खाताधारक के तौर पर पहचान में व्यापक तब्दीली आएगी. संस्था के अंशधारकों में मुख्य तौर पर संगठित क्षेत्र के कर्मचारी हैं.
यह संस्था अपने अंशधारकों को कोर बैंकिंग और यूएएन जैसी सेवाओं में सुधार लाने की कोशिश कर रही है. इससे इपीएफओ और बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकेगा. इपीएफओ के लिए हालांकि यूएएन को अपने करोड़ों अंशधारकों के लिए लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. सबसे पहले उसे पहचान संख्या को ऑनलाइन करने की जरुरत होगी. दूसरी परेशानी यह हो सकती है कि ज्यादातर खाताधारक देश के दूरदराज इलाकों में हैं जिनके लिये नयी प्रौद्योगिकी को अपनाना मुश्किल हो सकता है.
यूएएन से खातों के मिलान, अद्यतन खाते को देखने और इसे डाउनलोड करने तथा सभी सेवाओं को एक मंच पर पेश करने की सुविधा प्रदान करेगा.यूएएन से सदस्यों को अपने कामकाजी जीवन के दौरान भारत में कहीं भी पोर्टेबिलिटी की सुविधा मिलेगी. इस तरह संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को रोजगार बदलने पर पीएफ खाता दावे के हस्तांतरण के लिए आवेदन करने की जरुरत नहीं होगी.
साल 2014 के दौरानइपीएफओ अंशधारकों की श्रेणी में आने के लिये न्यूनतम वेतन सीमा बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति माह कर दी, जो पहले 6,500 प्रति माह थी. न्यूतमन वेतन सीमा बढाने के फैसले से 50 लाख और कर्मचारियों के इसके दायरे में आने की उम्मीद है.वेतन सीमा में बढोतरी से कर्मचारी जमा से जुड़ी बीमा योजना के तहत अधिकतम बीमित राशि भी बढकर 3.6 लाख रूपये हो जाएगी.
इपीएफओ ने पेंशन योजना को तहत न्यूनतम मासिक पेंशन राशि को भी 1,000 रुपये मासिक किया है. इससे 32 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा जिन्हें पहले कम राशि मिल रही थी. यह योजना 31 मार्च 2015 तक वैध है लेकिनइपीएफओ ने चालू वित्त वर्ष के दौरान इसकी पात्रता अवधि बढाने का फैसला किया है.
इपीएफओ ने अपनी सेवाओं में सुधार लाने के लिये कर्मचारी भविष्य निधि, पेंशन एवं कर्मचारी जमा संबद्ध बीमा योजना के तहत लाभार्थियों के दावों के निपटाने की अधिकतम अवधि और भुगतान की अधिकतम सीमा 30 दिन से घटाकर 20 दिन कर दी है.
इसके अलावाइपीएफओ ने भविष्य निधि योगदान के संग्रह के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य बैंकों में अपने खाते खोलने का भी फैसला किया है. अब तक सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक ही इन बैंक खातों का प्रबंधन करता था.
इपीएफओ की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था ने पीएफ जमा पर चालू वित्त वर्ष के दौरान 8.75 प्रतिशत ब्याज को बरकरार रखने का फैसला किया है. पिछले वित्त वर्ष में भी इतना ही ब्याज दिया गया.
वर्ष के दौरानइपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने केंद्र और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के त्रिपल-ए रेटिंग वाले बॉड पत्रों में कोष रखने पर विचार किया और इसके लिये एक सार्वजनिक उपक्रम निवेश प्रकोष्ठ बनाने का फैसला भी किया.इपीएफओ न्यासी बोर्ड ने दूसरे विकल्पों में निवेश के बारे में और गहराई से विश्लेषण की आवश्यकता पर जोर दिया है.
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