नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने के बाद पहले दिन से राज्यों को लाभ होगा और उद्योग एवं आम लोगों को भी इसका फायदा होगा.
वित्त मंत्रालय से संबद्ध संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में कहा जीएसटी से कर-पर-कर को कम करने में मदद मिलेगी और यह उपभोक्ताओं के लिये फायदेमंद होगा.जेटली ने कहा, ‘‘जीएसटी से अधिकतर राज्यों को खासकर उपभोक्ता राज्यों को पहले दिन से लाभ होगा.’’ उन्होंने कहा कि व्यापार की मात्रा बढ़ने तथा वृद्धि तेज होने के साथ हर राज्य का राजस्व संग्रह बढ़ने के साथ उन्हें लाभ होगा.
जीएसटी पर संविधान संशोधन विधेयक 19 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया. संसद के अगले सत्र में इस पर विचार किया जाएगा.जीएसटी एक अप्रैल 2016 से अप्रत्यक्ष करों का स्थान लेगा. जेटली ने कहा, जीएसटी से केंद्र, राज्यों, उद्योगपतियों, विनिर्माताओं, आम लोगों तथा कुल मिलाकर देश को लाभ होगा क्योंकि इससे पारदर्शिता बढेगी, अनुपालन सुधरेगा, जीडीपी वृद्धि दर बढेगी और राजस्व संग्रह बढेगा.उन्होंने यह भी कहा कि सरकार जीएसटी विधेयक पर सुधार के लिये किसी प्रकार का सुझाव सुनने के लिये तैयार है.
अरुण जेटली के हवाले से जारी बयान में कहा गया है, ‘‘जीएसटी एक सतत प्रक्रिया है जो समय के साथ विकसित और बेहतर होगी. ’’उन्होंने कहा कि राज्यों के राजस्व में कमी की आशंकाओं को दूर करते हुए जीएसटी विधेयक में प्रावधान किये गये हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार सहयोगपूर्ण संघवाद को मजबूत बनाने के पक्ष में है और जीएसटी पर आम सहमति बनाने के लिये हर संभव प्रयास किये जाएंगे.वित्त मंत्री ने आगे कहा कि केंद्र जीएसटी के लागू होने से अगले पांच साल तक होने वाले किसी भी प्रकार के नुकसान की भरपाई करेगा.
बयान के अनुसार समिति के अधिकतर सदस्यों ने जीएसटी लागू करने के सरकार के निर्णय कर समर्थन किया. बयान के मुताबिक, ‘‘सदस्यों ने कहा कि समय के साथ विभागों की संख्या भी घटेगी, ऐसे में भ्रष्टाचार कम होगा.’’ सदस्यों ने सुझाव भी दिये. इसमें केंद्र द्वारा राज्यों को होने वाले राजस्व तथा इससे लाभन्वित होने वालों के बारे में ब्योरा के लिये श्वेत पत्र लाना शामिल है.बैठक में जो सदस्य शामिल हुए, उनमें अनूप मिश्र, एसपीवाई रेड्डी, पूनम महाजन, श्रीराम मलयाद्री, अनिल देसाई, सतीश चंद्र मिश्र, राजकुमार धूत तथा एस शेखर राव शामिल हैं.
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