राष्ट्रपति ने लगायी बीमा, कोयला अध्यादेश पर मुहर

नयी दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बीमा और कोयला क्षेत्र से जुड़े दो अध्यादेशों पर आज हस्ताक्षर कर दिया. इससे बीमा क्षेत्र में अतिरिक्त विदेशी निवेश आकर्षित करने तथा रद्द कोयला खानों को फिर से आबंटन करने का रास्ता साफ हो गया है.सरकार ने इन दोनों क्षेत्रों में नये सुधारवादी उपायों को लागू करने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2014 3:04 PM

नयी दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बीमा और कोयला क्षेत्र से जुड़े दो अध्यादेशों पर आज हस्ताक्षर कर दिया. इससे बीमा क्षेत्र में अतिरिक्त विदेशी निवेश आकर्षित करने तथा रद्द कोयला खानों को फिर से आबंटन करने का रास्ता साफ हो गया है.सरकार ने इन दोनों क्षेत्रों में नये सुधारवादी उपायों को लागू करने के लिये ये दोनों अध्यादेश लाने का फैसला किया था क्योंकि पिछले दिनों संपन्न संसद के शीतकालीन सत्र में संबंधित विधेयकों पर चर्चा नहीं करायी जा सकी.

राष्ट्रपति भवन के प्रेस सचिव वेणु राजामनी ने कहा, राष्ट्रपति ने दोनों अध्यादेशों पर हस्ताक्षर कर दिये हैं. संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होने के एक दिन बाद मंत्रिमंडल ने बुधवार को बीमा क्षेत्र पर अध्यादेश लाने तथा कोयला अध्यादेश को फिर से जारी करने को मंजूरी दी.वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उम्मीद जतायी थी कि बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने से संबंधित वर्ष 2008 से लंबित संशोधन विधेयक से देश में 6 से 8 अरब डालर का पूंजी प्रवाह होगा.वर्तमान में यह सीमा 26 प्रतिशत है.

उन्होंने कहा था, ‘‘अध्यादेश सुधारों को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करता है. इससे निवेशकों सहित दुनिया को यह संदेश भी जाता है कि देश लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकता भले ही संसद का एक सदन इन्हें एजेंडे में लेने के लिये अनिश्चितकाल तक प्रतीक्षा करे.’’राज्यसभा की प्रवर समिति की मंजूरी के बावजूद बीमा कानून संशोधन विधेयक, 2008 पर सदन में चर्चा नहीं हो पायी. धर्मान्तरण और अन्य मुद्दों पर विपक्ष द्वारा सदन की कार्यवाही बाधित किये जाने से ऐसा हुआ.

कोयला खान (विशेष प्रावधान) विधेयक, 2014 को लोकसभा ने मंजूरी दे दी लेकिन उच्च सदन में इस पर चर्चा नहीं हो पायी. कोयले क्षेत्र पर अध्यादेश फिर से जारी होने पर निजी कंपनियों को उनके स्वयं के इस्तेमाल के लिये कोयला खानों की ई-नीलामी हो सकेगी तथा राज्य एवं केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को सीधे खानों का आबंटन किया जा सकेगा.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version