भारत ने कोरियाइ कंपनियों को दिया ”साहसिक निवेश’ का न्यौता
सोल: दक्षिण कोरिया को भारत की आर्थिक वृद्धि का एक महत्वूपर्ण सहयोगी करार देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज कोरियाइ कंपनियों को भारत में ‘साहसिक निवेश’ का न्यौता दिया. उन्होंने कहा कि इन कंपनियों को भारत में ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का लाभ उठाने को आगे आना चाहिए. भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग की […]
सोल: दक्षिण कोरिया को भारत की आर्थिक वृद्धि का एक महत्वूपर्ण सहयोगी करार देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज कोरियाइ कंपनियों को भारत में ‘साहसिक निवेश’ का न्यौता दिया. उन्होंने कहा कि इन कंपनियों को भारत में ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का लाभ उठाने को आगे आना चाहिए.
भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग की यहां आठवीं बैठक को संबोधित करते हुए सुषमा ने कहा कि भारत की पूर्व के देशों के साथ काम करो (एक्ट इस्ट) नीति में दक्षिण कोरिया और कोरियाइ कंपनियों का रणनीतिक स्थान है. उन्होंने कहा कि भारत में खासकर विनिर्माण क्षेत्र में निवेश की व्यापक संभावनाएं हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हम कोरियाइ कंपनियों को भारत में अपनी सफलता को और आगे बढाने तथा मेरी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का लाभ उठाने के लिये साहसिक निवेश करने का निमंत्रण देते हैं. ‘मेक इन इंडिया’ का मकसद देश में विनिर्माण को बढावा देने के लिये जरुरी नीतिगत उपाया करना तथा अन्य प्रोत्साहन देना है.’’
दक्षिण कोरिया के साथ अगले वर्ष तक सालाना द्विपक्षीय व्यापार 40 अरब डालर तक पहुंचाने के लक्ष्य के लिये व्यापार संबंधों को और मजबूत बनाने पर बल देते हुए सुषमा ने कहा कि हुंदै, सैमसंग तथा एलजी जैसी कोरियाई कंपनियां अब भारत के घर-घर में लोकप्रिय हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सरकार कोरिया गणराज्य के साथ संबंधों को खासा महत्व देती है. हम आर्थिक वृद्धि के लिये आपको एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रुप में देखते हैं. कोरिया तथा कोरियाइ कंपनियों का भारत की ‘एक्ट इस्ट’ पहल में रणनीतिक स्थान है.’’
संयुक्त आयोग की बैठक की अध्यक्षता सुषमा और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री यून बाईयुंग-से ने संयुक्त रुप से किया.बैठक में दोनों देश रक्षा उपकरण तथा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग को आगे बढाने के पर सहमत हुए.साथ ही यह भी कहा कि जहाज निर्माण, इलेक्ट्रानिक्स, आइटी, उर्जा तथा बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में भी पारस्परिक सहयोग की अच्छी संभावनाएं हैं.
दोनों पक्षों ने असैन्य परमाणु उर्जा तथा साइबर सुरक्षा में सहयोग बढाने को लेकर द्विपक्षीय हित की बात दोहरायी.
दोनों मंत्री अधिकारियों तथा शिक्षाविदों के आदान-प्रदान बढाये जाने पर भी सहमत हुए. विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ हम एक देश से दूसरे देश के बीच स्थापित उत्पादन नेटवर्कों के जरिये पारस्परिक संपर्क का नया रुप देखना चाहेंगे.सुषमा ने कहा, ‘‘हमें द्विपक्षीय व्यापार की संभावना के पूर्ण रुप से धरातल पर उतारने के लिये साथ मिलकर काम करने की जरुरत है. हमने 2015 तक 40 अरब डालर का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये हमारी कंपनियों को हमारी आर्थिक जरुरतों तथा व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते का पूरा लाभ उठाने की जरुरत है.’’ फिलहाल करीब 300 कोरियाई कंपनियों ने भारत में करीब 3 अरब डालर का निवेश किया है और करीब 40,000 लोगों को नौकरी दी है.
दोनों देशों के बीच चालू द्विपक्षीय सालाना व्यापार करीब 16 अरब डालर है. भारतीय कंपनियों ने दक्षिण कोरिया में करीब 2 अरब डालर निवेश किया है और टाटा, महिंद्रा तथा आदित्य बिडला समूह जैसे दिग्गज औद्योगिक समूह ने कोरियाई कंपनियों का अधिग्रहण किया है.द्विपक्षीय सहयोग के लिये भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग का गठन फरवरी 1996 में हुआ.इसकी अध्यक्षता दोनों देशों के विदेश मंत्री करते हैं.
सुषमा स्वराज ने बौद्ध धर्म की भी चर्चा की और कहा कि यह दोनों देशों के लोगों को जोडने का एक अटूट संपर्क है.उन्होंने कहा, ‘‘आधुनिक समय में शांति, लोकतंत्र, कानून का शासन तथा हमारे लोगों को बेहतर जीवन देने की साझा प्रतिबद्धता से हमारे संबंध और मजबूत हुए हैं.’’सुषमा ने कहा, ‘‘हम अयोध्या की उस रानी के उत्तराधिकारी हैं जिन्होंने ईसा बाद 48 में राजा किम सुरो से विवाह करने के लिये यात्र की थी.
मैं आज उस भावना को और मजबूत करने तथा हमारे द्विपक्षीय रणनीतिक गंठजोड़ को और समृद्ध करने का रास्ता तलाशने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में आपके साथ विचारों का आदान-प्रदान की इच्छुक हूं.’’दोनों पक्ष द्विपक्षीय आर्थिक तथा निवेश सहयोग को और मजबूत बनाने की संभावना पर सहमत हुए.
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