पुणे : सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों में नयी जान फूंकने के इरादे से यहां आयोजित ‘ज्ञान संगम’ में 100 से अधिक बैंक प्रमुखों तथा विशेषज्ञों ने पहले दिन सुधारों पर गहन विचार-विमर्श किया. सुधारों का यह खाका आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपा जायेगा. प्रधानमंत्री ‘ज्ञान संगम’ के दूसरे दिन समापन समारोह के मुख्य अतिथि होंगे.
प्रधानमंत्री सरकार और बैंकों के बीच समन्वय के लिए कुछ मंत्र भी दे सकते हैं. पीएम के निर्देश पर ही इस सम्मेलन में पहले दिन से ही वित्त मंत्री अरूण जेटली जमे हुए हैं. इतना ही नहीं वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा भी सम्मेलन में भाग ले रहे हैं. अपनी तरह के इस पहले दो दिवसीय समागम के पहले दिन बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए), कम ऋण उठाव तथा विलय एवं अधिग्रहण जैसे मसलों पर चर्चा की गई.
बैठक का उद्देश्य इन मसलों का हल तलाशना है. सम्मेलन में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी), रिजर्व बैंक के शीर्ष अधिकारी तथा निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं. वित्तीय सेवा सचिव हसमुख अधिया ने कहा, ‘सभी समूह ने विचार-विमर्श शुरू कर दिया है. चर्चा दिलचस्प है. हम उम्मीद करते हैं कि चर्चा मध्यरात्रि तक जारी रह सकती है.’
वित्तीय समावेशी, प्रौद्योगिकी का उपयोग, प्राथमिक क्षेत्र को ऋण, जोखिम प्रबंधन, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिये रणनीति तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की मजबूती पर छह अलग-अलग समूह कल मोदी तथा वित्त मंत्री अरूण जेटली के समक्ष अपनी बातें रखेंगे.
सम्मेलन में भाग ले रहे लोगों को संबोधित करते हुए अधिया ने कहा कि छह समूहों को प्रत्येक क्षेत्र में पांच प्रमुख सुझाव देने चाहिए जिन पर अमल किया जा सके. उन्होंने कहा, ‘कल सुबह तक उन्हें अपनी प्रस्तुती दे देनी चाहिए.’ इससे पहले, दिन में वैश्विक परामर्श कंपनी मैकिन्से ने विश्व में प्रचलित बेहतर मानकों पर प्रस्तुती दी.
हसमुख अधिया ने कहा कि भारत बैंकों की कार्य कुशलता में सुधार के लिये उनमें से कुछ को अपना सकता है. सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए वित राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि बैंकों को ऐसे सुझाव देने चाहिए जिससे भरोसेमंद और महंगाई नहीं बढाने वाली 7-8 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल हो सके.
उन्होंने कहा कि राजग सरकार गरीब समर्थक के साथ-साथ कारोबार का समर्थन करने वाली सरकार है. ऐसे में संतुलन इस तरह का होना चाहिए कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक वाणिज्यिक रुप से काम करें लेकिन साथ ही गरीबों का वित्तपोषण भी करें.
‘ज्ञान संगम’ में भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुधंती भट्टाचार्य, इंडियन बैंक के टी एम भसीन, बैंक आफ इंडिया की चेयरपर्सन वी आर अय्यर, कारपोरेशन बैंक के सीएमडी एस आर बंसल, इरडा के चेयरमैन टी एस विजयन, पीएफआरडीए के चेयरमैन हेमंत कांट्रैक्टर तथा रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर समेत अन्य शामिल हैं.
आज की चर्चा में जेटली तथा रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन भाग लेंगे. सिन्हा ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र को अगले 10 से 15 साल के लिये नया रुप देने के लिये यह महत्वपूर्ण कार्यशाला एक अनूठा अवसर है. उन्होंने कहा, ‘आर्थिक माहौल में तेजी से बदलाव हो रहा है, ऐसे में सुधारों को भी तत्काल आगे बढाये जाने की जरुरत है.’
फंसे कर्ज यानी एनपीए में वृद्धि तथा ऋण उठाव कम रहना बैंकिंग क्षेत्र के लिये दो बडी चुनौतियां हैं. हसमुख अधिया ने कहा, ‘ऋण उठाव में कमी चिंता का एक विषय है. बैंक प्रमुख इसे बढाने की रणनीति पर चर्चा कर रहे हैं.’ उल्लेखनीय है कि आर्थिक वृद्धि में तेजी के बावजूद ऋण के लिये पर्याप्त मांग नहीं है.
ऋण वृद्धि 10 प्रतिशत उपर जाना मुश्किल लगा रहा है, जो पांच साल में सबसे कम है. चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों के दौरान ऋण वृद्धि एकल अंक 5.2 प्रतिशत रही. वहीं जमा 7.6 प्रतिशत की दर से बढा. उन्होंने कहा कि संपत्ति की गुणवत्ता एक और चिंता का क्षेत्र है और बैंकों के जोखिम प्रबंधन में सुधार की जरुरत है.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज में फंसी राशि यानी एनपीए सितंबर 2014 के अंत तक 2.43 लाख करोड रुपये से अधिक थी. सकल एनपीए में शीर्ष 30 एनपीए खातों में 87,368 करोड, रुपये यानी 35.9 प्रतिशत राशि फंसी है.
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