अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए हरसंभव कदम उठायेगी सरकार: मनमोहन

नई दिल्ली:प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज यह स्वीकार किया कि अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही है, साथ ही उन्होंने उद्योग जगत को भरोसा दिया कि इसे पुन: तेजी की राह पर लाने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी.सिंह ने रुपये में गिरावट के लिए बढ़ते चालू खाते के घाटे :सीएडी: तथा वैश्विक कारकों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 19, 2013 1:14 PM

नई दिल्ली:प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज यह स्वीकार किया कि अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही है, साथ ही उन्होंने उद्योग जगत को भरोसा दिया कि इसे पुन: तेजी की राह पर लाने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी.सिंह ने रुपये में गिरावट के लिए बढ़ते चालू खाते के घाटे :सीएडी: तथा वैश्विक कारकों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने उम्मीद जताई कि विदेशी विनिमय बाजार में सटोरिया दबाव कम होने के साथ ही रपए में गिरावट पर काबू पाने के लिए हाल में उठाये गये कदमों को भारतीय रिजर्व बैंक वापस ले लेगा.प्रधानमंत्री आज यहां उद्योग मंडल एसोचैम की सालाना बैठक को संबोधित कर रहे थे.

अर्थव्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि यद्यपि घरेलू अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत तथा अडिग है पर पर चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत के बजट अनुमान से कम रह सकती है.उन्होंने उद्योग जगत को आश्वस्त किया कि सरकार अर्थव्यवस्था को पुन: तेजी की राह पर लाने के लिए हरसंभव कदम उठायेगी. उन्होंने कहा, हम अर्थव्यवस्था को पुन: तेजी की राह पर लाने के लिए कोई कोर कसर नहीं रखेंगे. मैं आप सभी से आग्रह करुंगा कि आप नकारात्मक भावनाओं में बहें.

मनमोहन ने कहा, मैं शुरु में ही यह कहना चाहूंगा कि अधिकांश अन्य देशों की तरह हम भी एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं. यह :उद्योग जगत: अर्थव्यवस्था को उंची वृद्धि दर की राह पर वापस लाने के लिए सरकार की ओर देख रहा है. :उसकी: यह अपेक्षा उचित है और हमारे मन में यह सबसे उपर है.प्रधानमंत्री ने उद्योग जगत को आश्वस्त किया कि सरकार अर्थव्यवस्था को पुन: तेजी की राह पर लाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएगी.

उन्होंने कहा, जब सब कुछ ठीक चल रहा हो तो सरकार को कम से कम हस्तक्षेप करना चाहिए. जब हालात बिगड़ रहे हों, जैसा कि अब लग रहा है, तो सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह चौकसी के साथ काम करे.

सिंह ने कहा कि इस समय बड़ी चिंता विदेशी मुद्रा बाजारों में हाल का उतार चढाव है. इसकी बडी वजह वैश्विक बाजार हैं. ये बाजार अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नकदी का प्रावाह बढाने की मौजूदा नीति के वापस लिए जाने की संभवाना पर प्रतिक्रिया कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, उदीयमान बाजारों से बड़ी मात्र में धन निकाला गया है और अनेक उदीयमान बाजार देशों की मुद्राओं की विनियम दर में गिरावट आयी है. हमने भी रुपये में तेज गिरावट देखी है. हमारे मामले में यह शायद इसलिए इस तथ्य से बिगड़ गई कि हमारा चालू खाते का घाटा :सीएडी: 2012-13 में जीडीपी का 4.7 प्रतिशत हो गया.

सिंह ने कहा कि सरकार समस्या के मांग तथा आपूर्ति पक्ष का समाधान करते हुए सीएडी को काबू करने के लिए प्रतिबद्ध है. वह विशेषकर सोने तथा पेट्रोलियम उत्पादों की मांग पर काबू पायेगी.

उन्होंने कहा कि सोने के आयात में जुलाई में भारी गिरावट आई है और मुझे उम्मीद है कि अब इसका आयात सामान्य स्तर पर रहेगा.

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