प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकरों से कहा : काम कर दिखाइए, पीएमओ से नहीं आयेगा आपके पास फोन

पुणे : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करने का वचन देते हुए बैंकों से जिम्मेदाराना रवैया अपनाने को कहा, लेकिन साथ ही उन्हें चेताया भी कि यदि वे इसमें सफल नहीं हुए तो सार्वजनिक हित में हस्तक्षेप भी किया जा सकता है. बैंकिंग सुधारों के उपाय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 4, 2015 12:44 AM
पुणे : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करने का वचन देते हुए बैंकों से जिम्मेदाराना रवैया अपनाने को कहा, लेकिन साथ ही उन्हें चेताया भी कि यदि वे इसमें सफल नहीं हुए तो सार्वजनिक हित में हस्तक्षेप भी किया जा सकता है.
बैंकिंग सुधारों के उपाय ढूंढने के लिए आयोजित बैंकरों के दो दिन के सम्मेलन ‘ज्ञान संगम’ के समापन सत्र में मोदी ने बैंकिंग कामकाज में सुस्ती खत्म करने का भी आह्वान किया और कहा कि बैंकों को रोजगार देने वाले क्षेत्रों को कर्ज देने में प्राथमिकता देनी चाहिए.
इधर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ठोस सुधारों का आह्वान किया, जबकि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने एनपीए की समस्या दूर करने और प्रणाली में संभावित एनपीए को साल भर के भीतर खत्म करने पर जोर दिया, ताकि अर्थव्यवस्था को लीक पर लाया जा सके.
बैंकरों ने अपनी ओर से सुझाव दिया कि आने वाले समय में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे लायी जानी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कर्ज माफी और कृषि क्षेत्र के लिए सीमित ब्याज दर जैसी बाजार बिगाड़ने वाली व्यवस्था भी खत्म होनी चाहिए.
वित्तीय सेवा सचिव हसमुख अधिया ने इस चर्चा के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि मोदी ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वचन दिया है कि उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई फोन नहीं आएगा जिससे उनका कामकाज प्रभावित हो.
मोदी ने बैंकिंग क्षेत्र से ऐसे बैंक स्थापित करने का आह्वान किया जो कि दुनिया के शीर्ष बैंकों में शामिल हों. उन्होंने बैंकों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करने का भरोसा देते हुए कहा कि बैंकों को पेशेवर ढंग से चलाए जाने की जरूरत है.
मोदी ने बैंकरों से यह भी कहा कि वें लक्ष्मी को सरस्वती से मिलाएं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकिंग क्षेत्र में पर्याप्त ज्ञान आधारित क्षमताओं के विकास की जरूरत को रेखांकित करने के लिए आज इस विश्वास का सहारा लिया कि धन की देवी लक्ष्मी को अगर सरस्वती के साथ रखा जाए तो वह लंबे समय तक टिकती है. सरस्वती ज्ञान की देवी है.
वित्तीय सेवा सचिव हसमुख अधिया ने बैंकरों के दो दिन के सम्मेलन ज्ञान संगम में मोदी के संबोधन की जानकारी देते हुए यह बात कही.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल लक्ष्मी की पूजा करना ही महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि लक्ष्मी जी स्वभाव से ‘चंचल’ हैं. उनके अनुसार प्रधानमंत्री ने ज्ञान की देवी सरस्वती तथा धन की देवी लक्ष्मी का जिक्र करते हुए कहा, ‘अगर आप लक्ष्मी के साथ सरस्वती का ‘मिलन’ करा देंगे तो लक्ष्मी लंबे समय तक ठहरेंगी.’

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